नवीन चौहान.
उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा हाईकमान का कुछ बड़ा प्लान है। इसी के चलते भाजपा से टिकट लेने वाले दावेदारों की जुबां खामोश है। दावेदारों को मालूम है कि मुंह खोलने का खामियाजा वनवास के तौर पर भुगतना पड़ सकता है। उत्तराखंड की बात करें तो खटीमा से विधानसभा चुनाव हार चुके पुष्कर सिंह धामी को चुप्पी साधने पर ही दोबारा मुख्यमंत्री पद की कुर्सी बतौर ईनाम में मिली। वही बदरीनाथ सीट से विधानसभा में हार का मुंह देख चुके महेंद्र भटट को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भाजपा की कमान मिली और चुप्पी का ईनाम अब राज्यसभा सांसद के रूप में मिला। जबकि प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल कर चुकी भाजपा सरकार में तीन केबिनेट मंत्री पद की कुर्सियो खाली धूल फांक रही है। लेकिन मंत्री पद पाने वाले तमाम विधायकों के दिलों में खाली कुर्सी पर बैठने का मन तो है लेकिन जुबां खामोश है।
तो यह मान लिया जाए कि भाजपा में खामोशी किसी बड़े परिवर्तन का इशारा कर रही है। यह परिवर्तन लोकसभा चुनाव से पहले टिकट वितरण में देखने को मिलेगा। भाजपा पांच लोकसभा सीटों पर कुछ नया करने जा रही है। जिसके चलते कददावर नेताओं के दिलों की धड़कने बढ़ी हुई है। यूं तो भाजपा में सब कुछ हाईकमान तय करता है। लेकिन बात करें हाईकमान की तो लोकसभा चुनाव में भाजपा में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही भाजपा चुनाव मैदान में उतरेगी और 370 प्लस के नारे को पूरा करने का दंभ भर रही है। राम मंदिर, धारा 370 और मोदी के विकास कार्य ही जनता में बताए जायेंगे। लेकिन यहां तो बात उत्तराखंड के नेताओं की खामोशी को लेकर हो रही है। यह बात तो सभी नेता जानते है कि चुनाव में चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। ऐसे में टिकट किसी को मिले क्या फर्क पड़ता है। वोट तो मोदी जी के नाम से ही मिलेगा।
तो फिर खामोशी ही सबसे बेहतर विकल्प है। नई लोकसभा में बैठने का सपना तो मोदी जी ही पूरा करेंगे। नेताओं को संगठन के निर्देशों पर काम करना है।
विगत दिनों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के चेहरों को देखने के बाद तो उत्तराखंड में भाजपा नेताओं की खामोशी और भी अच्छी लगती है। अगर दिल्ली की तरफ ज्यादा दौड़ लगाई और मुंह खोला तो नुकसान ही उठाना पड़ेगा। ऐसे में मोदी जी के आशीर्वाद के इंतजार में बैठकर भगवान राम के गीत गुनगुनाओं। दिल्ली से फरमान आयेगा तो समर्थकों से फूल माला पहनना। अन्यथा भाजपा को मजबूत करने के लिए कार्य करना।