केबिनेट मंत्री मदन कौशिक का टूट रहा तिलिस्म, डॉक्टर भी छिटके




नवीन चौहान
हरिद्वार की राजनीति के सबसे कद्दावर नेता कहे जाने वाले नगर विधायक और केबिनेट मंत्री मदन कौशिक का तिलिस्म लगातार टूटता जा रहा है। निकाय चुनाव में हरिद्वार की मेयर सीट हारने के बाद से लगातार उनके वोट बैंक में खासी कमी देखने को मिल रही है। मदन कौशिक के आचरण में आ रहा बदलाव और जनहित के मुद्दों पर उनकी चुप्पी सबसे बड़ी वजह है। मदन कौशिक की सियासी जमीन धीरे-धीरे उनके पैरों तले से खिसक रही है। हालांकि मदन कौशिक को इस बात का अंदाजा नही है कि उनका वोट बैंक कम हो रहा है। लेकिन हरिद्वार के एक होटल में डॉक्टर एसोसियेशन की बैठक के दौरान इस बात का अंदाजा लग गया कि डॉक्टर भी उनसे छिटकने लगी है। कभी मदन कौशिक के एक फोन कॉल पर मरीजों का बिल कम करने वाले डॉक्टर अब उनके व्यवहार से खासे आहत है। अपनी बुलंद आवाज से संबोधित करने वाले मदन कौशिक का आत्मविश्वास डगमगाने लगा है। डॉक्टरों का मानना है कि प्रॉपर्टी के अवैध कारोबार को वैध कराने में तो मदन कौशिक पुरजोर पैरवी करते है। लेकिन डाक्टरों की आवाज उठाने में वह बेवस नजर आ रहे हैं।
तीन दशक पूर्व हरिद्वार की राजनीति में एक दूध के कारोबारी मदन कौशिक ने दस्तक दी। भाजपा ने हरिद्वार विधानसभा सीट पर मदन कौशिक को टिकट दिया। हरिद्वार की जनता ने भी दिल खोलकर वोट किया और मदन कौशिक को विधानसभा के अंदर जाने के रास्ते खोल दिए। पहली बार विधानसभा पहुंचे मदन कौशिक ने हरिद्वार की आवाज को पुरजोर तरीके से उठाया तो उनका कद भी बढ़ा। हरिद्वार की सियासत में मदन कौशिक अंगद के पैर की भांति जम गए। इसके बाद से लगातार हरिद्वार सीट से चार बार से विधानसभा चुनाव जीतने वाले एक मात्र नेता बने और दो बार केबिनेट मंत्री बने। लेकिन साल 2018 कि निकाय चुनाव में मदन कौशिक की पसंद पर भाजपा ने मेयर का टिकट अन्नु कक्कड़ को दिया। हरिद्वार के इतिहास का ये पहला चुनाव था जिसमें मदन कौशिक को हार का मुंह देखना पड़ा। मदन कौशिक की सियासी जमीन खिसकने लगी थी। मदन कौशिक इसका अंदाजा नही लगा पा रहे थे। इसके पीछे वैसे तो कई कारण है। लेकिन सबसे बड़ा कारण है कि उनका व्यवहार लगातार बदलता जा रहा था। हालांकि मदन कौशिक का चेहरा देखकर तो सब उनको सम्मान देते रहे। लेकिन पीठ पीछे मदन कौशिक के प्रति जनता की नाराजगी जगजाहिर होने लगी। साल 2019 आते-आते मदन कौशिक की छवि का प्रभाव कम होने लगा। इस बात का पता निजी चिकित्सकों की बैठक के दौरान लगा जब मदन कौशिक उनको सीएम से बात करने का आश्वासन देकर चले गए। लेकिन पीठ पीछे डाक्टरों ने कहा कि प्रॉपर्टी की अवैध बिल्डिंग को वैध कराने में मदन कौशिक कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कराते है। जबकि जिन डाक्टरों से बिल कम कराते है उनको वह आत्मविश्वास के साथ भरोसा तक नही दे पाते। हद तो तब हो गई जब डाक्टरों ने कहा कि मदन कौशिक अब पहले वाले मदन नही रहे। इस बात से साफ जाहिर है कि मदन कौशिक निजी डाक्टरों का भरोसा खो चुके है। हालांकि मदन कौशिक सबको साधने में माहिर है। लेकिन एक राजनेता के लिए पीठ-पीछे से उठने वाली ये आवाज उनके राजनैतिक भविष्य के लिए बड़ा खतरनाक संकेत है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि निजी डाक्टरों से मिलने के लिए कांग्रेस के एक बड़े नेता ने संपर्क किया है। कांग्रेस इस मुद्दे को हवा दे सकती है।



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