नवीन चौहान
उत्तराखंड की भाजपा सरकार कॉरपोरेट अस्पतालों के हाथों में खेल रही है। जबकि छोटे अस्पतालों पर ताला लगने की तलवार लटक गई है। ये हालात उत्तराखंड में क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट को लागू कराने के चलते उत्पन्न हुए है। उत्तराखंड की सरकार इस एक्ट को सख्ती से लागू कराने के पक्षधर है। वही निजी अस्पतालों के संचालक डॉक्टरों का मानना है कि इस एक्ट के लागू होने के बाद उनको अस्पतालों पर ताला लगाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। वह सरकार के इन नियमों को पूरा करने में असमर्थ है। डॉक्टरों ने इस एक्ट से उत्पन्न होने वाली तमाम समस्याओं से केबिनेट मंत्री मदन कौशिक को अवगत कराया। हालांकि निजी चिकित्सकों की इन तमाम बातों पर केबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने सरकार की कुछ मजबूरियां भी बताई। हालांकि उन्होंने भरोसा दिया है कि वह मुख्यमंत्री से बातचीत करने के बाद कोई समाधान निकालने का प्रयास करेंगे। इस समस्या का कोई समाधान निकलेंगा ऐसे हालात कम दिखाई पड़ रहे है। ऐसी स्थिति में निजी चिकित्सकों की हड़ताल जारी रहेगी या चिकित्सकों को बैकफुट पर आना पड़ेगा इस पर सबकी निगाहे टिकी है। कल होने वाली मदन कौशिक की मुख्यमंत्री से बातचीत पर हड़ताल का अस्तित्व निर्भर करता है। हालांकि निजी चिकित्सक भी हड़ताल को जारी रखने के मूढ़ में नही है। लेकिन एक्ट का विरोध करना उनके वजूद को लेकर है।
हरिद्वार जनपद में निजी चिकित्सकों की पांच दिनी हड़ताल के बाद हालात लगातार बिगड़ते जा रहे है। मरीज परेशान और बेहाल है। मरीज अस्पतालों के चक्कर लगा रहे है। चिकित्सक इलाज करने में असमर्थता जता रहे है। निजी चिकित्सक अस्पताल पर ताला लगाकर सरकार के आदेश का इंतजार कर रहे है। हालांकि हड़ताल पूरे प्रदेश में है। लेकिन हरिद्वार में अस्पताल और मरीजों की संख्या ज्यादा होने के चलते स्थिति विकट होती जा रही है। निजी चिकित्सक मरीजों को अपनी मजबूरी बता रहे है। मंगलवार की शाम को एक चिकित्सक ने केबिनेट मंत्री मदन कौशिक के सामने मरीजों की हकीकत को बयां किया। चिकित्सक ने बताया कि मरीज अब मारने आने लगे है। जिससे उनके परिवारों को भी खतरा होने लगा है। मरीज इलाज करने की जिदद कर रहे है। उनका प्रोफेशन मरीज को इलाज करने से इंकार करने की इजाजत नहीं देता है। ऐसे हालात में केबिनेट मंत्री मदन कौशिक ही बीच का रास्ता निकाल सकते है। चिकित्सकों की बातों को सुनने के बाद केबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने सरकार का बचाव करते हुए अपना तर्क रखा। लेकिन फिर भी चिकित्सकों को उम्मीद नहीं छोड़ने का भरोसा दिया। अब देखना होगा कि सरकार और निजी चिकित्सकों की ये लड़ाई किस निर्णायक मोड़ पर आकर खत्म होती है। हालांकि केबिनेट मंत्री मदन कौशिक की कोशिश रहेगी कि सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे।