केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने मां की बात नहीं मानी, जानिये पूरी खबर




नवीन चौहान,हरिद्वार। खाकी पहनकर कानून का अनुपालन कराने वाले आईपीएस अफसर सत्यपाल सिंह ने रिटारमेंट के बाद खादी पहनकर देशसेवा का संकल्प किया। भाजपा के टिकट पर सांसद का चुनाव जीते तो मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाये गये। सत्यपाल सिंह को भारत सरकार में गंगा संरक्षण मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी। इसी जिम्मेदारी को पूरा करने की मुहिम में हरिद्वार पहुंचे केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने बहुत ही मार्मिक और गंगा के प्रति अगाढ प्रेम को जगजाहिर कर दिया। उन्होंने कहा कि उनका देवभूमि उत्तराखंड से पूर्व जन्म का नाता है। वह मां गंगा में फूल का दोना तक अर्पित नहीं करते है। उन्होंने अपने संस्मरण को बताया कि छह साल पूर्व उनके पिताजी का निधन होने जाने के उनकी मां ने गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने की भावनायें व्यक्त की थी। लेकिन तब भी मैंने मां गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये पिताजी की अस्थियों को गंगा में विसर्जित नहीं किया। मेरी मां ने मां गंगा के प्रति भावनाओं को समझते हुये इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया था।
केंद्रीय मंत्री सत्यपाल ने ऋषिकुल आडिटोरियम में अपने उत्तराखंड प्रेम और मां गंगा के प्रति आस्था को जगजाहिर कर दिया। उन्होंने बहुत भावुक स्वर में बताया कि छह वर्ष पूर्व मेरे पिताजी का स्वर्गवास हुआ था। मेरी मां ने उस समय इच्छा जाहिर की कि पिता के अस्थि अवशेष हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित किये जाये। मैं उस समय ना तो राजनेता था और ना ही मंत्री। लेकिन गंगा को लेकर अपनी भावना और सोच के कारण मैंने ऐसा ना करने का निश्चय किया और मां से कहा कि मैं गंगा को अपवित्र करने का कार्य नहीं करूंगा। मेरी मां आज भी जीवित है। उस समय इस निर्णय को मां ने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया। मैं आज भी अनेक स्थानों पर गंगा आरती में भाग लेता हॅू। लेकिन कभी भी फूलों का दोना गंगा में प्रवाहित नहीं करता। उन्होंने फूल गंगा में प्रवाहित नहीं करने की वजह को भी बताया। उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा गंगा में प्रवाहित किये गये फूल सड़ने के बाद गंगा को प्रदूषित करते है। केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह की ये बात दिल को छू लेने वाली थी। कार्यक्रम हॉल में मौजूद सभी लोग उनके मुख से गंगा के प्रति आस्था और देवभूमि प्रेम की बात सुनकर चकित रह गये। लेकिन वह सबके दिलों को जीतकर चले गये। मां गंगा पतित पावनी और जीवन दायिनी है। उसको प्रदूषण मुक्त रखने के लिये हम सभी को संकल्प करना होगा। भारत के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है कि गंगा को प्रदूषित होने से बचाये।



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