शोभित विश्वविद्यालय में भविष्योन्मुखी रोजगारपरक महत्वपूर्ण लघु विशेषज्ञताओं की शुरुआत




मेरठ।
शोभित विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग द्वारा भविष्य में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आने वाले महत्वपूर्ण बदलावों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण भविष्योन्मुखी लघु स्पेशलाइजेशंस की शुरुआत की गई ।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति ने हमें बहुत सारे अवसर एवं फ्लैक्सिबिलिटी प्रदान की है। जिसके माध्यम से इन सभी माइनर स्पेशलाइजेशंस को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप आने वाले समय में छात्र अपनी इच्छा एवं रूचि के अनुसार अपनी स्पेशलाइजेशन का चुनाव कर सकेंगे। उन्होंने खास तौर पर कहा है कि बदलाव होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब हम कोई नई चीज को इंप्लीमेंट करते हैं तो वह अपने साथ बहुत सारी चुनौतियों को लेकर आता है। हमें नई नई तकनीक को सीखने की आवश्यकता है। हमें हर वक्त इंडस्ट्री के हिसाब से अपने आपको तैयार रखने की जरूरत है। हमें गतिशील बने रहना होगा ना कि स्थिर।

स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के डीन डॉ तरुण शर्मा ने कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में आठ लघु (माइनर) स्पेशलाइजेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने की शुरुआत की। जिसमें मशीन लर्निंग, डाटा साइंस एंड आईओटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, हुमन कंप्यूटर इंटरेक्शन, जैसी महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी को छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया। डॉ तरुण शर्मा ने बताया कि भारत में हुमन कंप्यूटर इंटरेक्शन स्पेशलाइजेशन की शुरुआत करने वाला शोभित विश्वविद्यालय प्रथम शिक्षण संस्थान है। उन्होंने कहा कि यह सभी स्पेशलाइजेशन आज के समय और आने वाले समय को ध्यान में रखकर शुरू की गई है।
डॉ अल्पना जोशी हेड ऑफ एग्रीकल्चर विभाग ने बताया कि कृषि और कृषि-सूचना विज्ञान विभाग ने बी.टेक कृषि प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम की आठ नई विशेषज्ञताओं को शुरू करने की घोषणा की है। यह कार्यक्रम कृषि-सूचना विज्ञान, कृषि-अर्थशास्त्र, जीआईएस और रिमोट सेंसिंग, कृषि अपशिष्ट प्रबंधन, सिंचाई और जल निकासी इंजीनियरिंग, मिट्टी और जल संरक्षण इंजीनियरिंग, कटाई के बाद की प्रक्रिया और खाद्य इंजीनियरिंग में मामूली डिग्री विशेषज्ञता के विशेष प्रावधान के साथ शुरू किया गया है और कृषि मशीनरी डिजाइन और इंजीनियरिंग। इन विशेषज्ञताओं को छात्रों को औद्योगिक अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि वे आज की बदलती प्रौद्योगिकी और प्रगति की दुनिया के अनुकूल हों। इसी तरह बायोमेडिकल इंजीनियरिंग एवं बायोटेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग में भी आठ-आठ माइनर स्पेशलाइजेशन को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जिससे छात्रों को भविष्य के लिए तैयार किया जा सकेगा ।

कार्यक्रम में बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एपी गर्ग ने कहां की हमें आने वाले 20 से 25 सालों के बारे में सोचने की आवश्यकता है। अगर हम भविष्य को ध्यान में रखकर छात्रों को तैयार करेंगे तो आने वाले समय में छात्रों के समक्ष बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न नहीं होगी और छात्र अपना बेहतर कल बना पाएंगे। विश्वविद्यालय द्वारा दी जा रही नई स्पेशलाइजेशंस को सभी छात्रों को अपने प्रोजेक्ट में एग्जीक्यूट करना होगा। नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का 40% कोर्स क्लासरूम में पढ़ाया जाए। इसके अलावा 60% में छात्रों को इंडस्ट्री के हिसाब से तैयार किया जाएगा और उन्हें लाइव प्रैक्टिकल के माध्यम से इंडस्ट्री के लिए तैयार किया जाएगा कार्यक्रम के दौरान नई माइनर स्पेशलाइजेशन का पोस्टर रिलीज किया गया कार्यक्रम के दौरान सभी विभागों के डीन एवं शिक्षक मुख्य रूप से उपस्थित रहे।



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