श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में मनाया गया गांधी जयन्ती पर्व




नवीन चौहान
श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के मुख्यालय में 151 वीं गांधी जयंती एवं 116 वीं लाल बहादुर शास्त्री जयन्ती के उपलक्ष्य में ध्वजारोहण किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के अधिकारीगण, कर्मचारीगण तथा राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के समस्त अध्यापकगण उपस्थित रहे।
डॉ ध्यानी ने गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन वृत्त पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए उनके जीवन संघर्ष, उनकी देश सेवा और उनके जीवन मूल्यों से सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अवगत कराया। डॉ ध्यानी ने गांधी जी के जीवन काल में घटित अनेकानेक परिस्थितियों तथा उनके द्वारा किये गये आन्दोलन तथा उनके कथनों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमें भी सत्य, अहिंसा और सर्वधर्म समभाव के मार्ग पर ही चलना चाहिए और तब ही विश्व में शान्ति कायम होगी। डॉॅ ध्यानी ने यह भी अवगत कराया कि गांधी जी भारत को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे। वो भारत की आत्मा को गांवो में देखते थे, वे हर गांव को पूर्ण रूपेण स्वालम्वी चाहते थे। उनका दृष्टिकोण था कि भारत को विकास मार्ग पर ले जाने के लिये समग्र ग्राम विकास प्रथम प्राथमिक होनी चाहिए। गांधी जी द्वारा बडे बडे उद्योगों को नही छोटे छोटे उद्योगों को महत्व दिया गया जैसे चरखे द्वारा सूत कताई, बुनाई आदि। स्वच्छ भारत भी उनकी प्राथमिकताओं में था। गांधी जी ने सत्य, अहिंसा और सर्वधर्म समभाव के दम पर अंग्रेजों से देश को आजाद करवाया। आज पूरी दुनिया उन्हे सत्य और अहिंसा के प्रतिबिम्ब के रूप में देखती है। अपने सादा जीवन और उच्च विचारों के चलते उन्होने विश्व को सत्य और अहिंसा की ताकत से परिचित कराया। आज पूरी दुनिया गांधी जी को बापू, महात्मा गांधी और भारत के राष्ट्रपिता के नाम से जानती है। डॉ ध्यानी ने कहा कि हम सभी भारतीयों के लिये यह अत्यन्त गौरव की बात है कि आज पूरी दुनिया ’’अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’’ के रूप में मना रही है और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर सम्बन्धित कई कार्यक्रमों का पूरे विश्व में आयोजन कर रही हैं, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून, 2007 को गांधी जी के अमूल्य योगदान को देखते हुये 02 अक्टूबर को ’’अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’’ पूरे विश्व में मनाने की घोषणा की थी।
डा0 ध्यानी ने सभी को अपने – अपने समाज के निर्माण हेतु भी प्रेरित किया। उन्होने कहा कि समाज का निर्माण प्रेम और सदभाव से होता है, घृणा से नहीय समाज का निर्माण मेल-जोल से होता है, बैर भाव से नहीय और, समाज का निर्माण एक दूसरे के धर्म का आदर करने से होता है, अनादर से नही।
डॉ ध्यानी ने कहा कि अब हम्हें देश को कमजोर करने वाली शक्तियों से सावधान रहना चाहिए और राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा करना ही हमारा पूनीत कर्तव्य होना चाहिए – आज हम सभी ऐसा ही संकल्प लेते हैं।
इस कार्यक्रम के अवसर पर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य भागवत सिंह चौहान, रश्मि आदि , विश्वविद्यालय के सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ हेमन्त बिष्ट, वीएल आर्य, प्र निजी सचिव कुलपति कुलदीप सिंह नेगी, मनोज, अमित सजवाण, रविन्द्र कुमार, महाजन सिंह, नीरज, धीरेन्द्र, संजीव, रामकृष्ण उनियाल, विकास सेमवाल, विजय लाल, कुलदीप सिंह, देवेन्द्र दत्त बहुगुणा आदि उपस्थित रहे।



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