सरकार के मंत्री सुबोध उनियाल का धमाकेदार इंटरव्यू, चुनाव में जीतेंगे गोल्ड मेडल: VIDEO




नवीन चौहान.
प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विधानसभा 2022 के चुनाव में भाजपा की सरकार बनाएगी। कहा कि साढ़े चार साल के कार्यकाल में जनता के हितों के लिए प्रदेश के विकास के लिए जो कार्य किये गए उनके दम पर भाजपा फिर से सत्ता में आएगी।


सुबोध उनियाल ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा के दो दिवसीय दौरे के दौरान अब तक किये गए कार्यों पर चर्चा हुई। सरकार और पार्टी की मंशा के अनुरूप जो कार्य होने थे उन पर समीक्षा की गई। जो कमियां रही उन्हें दूर कर आगे बढ़ने पर बल दिया गया।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि भाजपा सैनिकों, महिलाओं, अनुसूचित जाति समेत अन्य सभी वर्गों को अपने साथ लेकर आगे बढ़ेगी। अनुसूचित जातियों के लिए जो योजनाएं हैं उनका शत प्रतिशत पात्रों को लाभ दिलाने का कार्य किया जा रहा है। कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि जनभावनाओं के साथ हम गोल्ड मेडल जीतेंगे।

सरकार की उपलब्धियों के बारे में कहा कि सैकड़ों उपलध्यिां है, सरकार ने हर क्षेत्र में विकास किया है। किसानों के लिए काम किया है, रोजगार उपलब्ध कराने का कार्य किया है। कोविड महामारी के दौरान बेहतर प्रबंधन किया है। गांव गांव घर घर जाकर वै​क्सीनेशन का कार्य किया गया है। सरकार के प्रबंधन की वजह से ही शत प्रतिशत वैक्सीन का लक्ष्य प्राप्त किया गया।

सरकार का कार्यकाल सही चल रहा है तो क्यों सीएम बदलना पड़ा। इस सवाल के जवाब पर सुबोध उनियाल बात को घुमा गए। उन्होंने कहा की भाजपा नीतियों के साथ चलती है, चेहरे को लेकर नहीं। वर्ष 2017 के चुनाव में पार्टी ने चेहरे पर नहीं अपनी नीतियों पर चुनाव लड़ा था। पीएम नरेंद्र मोदी के कामकाज को लेकर चुनाव में थे।

इस बार भी पार्टी अपनी नीतियों पर ही चुनाव लड़ेगी। पार्टी सबका साथ सबका विकास की नीतियों पर चल रही है। हम हर वर्ग का ख्याल रख रहे हैं। डबल इंजन का मतलब है केंद्र और राज्य सरकार के बीच आपसी तालमेल के साथ प्रदेश का विकास किया जाए, जो हमारी सरकार कर रही है।

कुंभ में बार बार बदले जा रहे निर्णयों को लेकर कहा कि कुछ निर्णय परिस्थिति के अनुसार लिए जाते हैं। यदि परिस्थिति अनुकूल नहीं होती तो निर्णय बदले भी जाते हैं। ऐसा ही कुंभ के दौरान भी हुआ। लग रहा था कि कोरोना चला गया है, इसीलिए कुंभ को बड़े स्तर पर आयोजित करने का सरकार ने निर्णय लिया था, लेकिन अचानक दूसरी लहर आयी तो यह निर्णय वापस लेना पड़ा और कुंभ को प्रतीकात्मक रूप से आयोजित कराया गया।



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