पूर्णिमा और अमावस्या को करना चाहिए एक छोटा सा हवन: संत विजय कौशल महाराज




सोनी चौहान
मंगलमय परिवार हरिद्वार के द्वारा फाल्गुन पूर्णिमा (होली) के पावन पर्व पर परिवारों की सुख, समृद्धि एवं शान्ति के लिए सामूहिक हवन कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रसिद्ध श्रीरामकथा वाचक संत विजय कौशल महाराज एवं आचार्य बालकृष्ण, महामंत्री पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के पावन सांनिध्य में स्थानीय गौतम फार्म में आयोजित किया गया।
संत विजय कौशल महाराज ने परिवार में मंगल कैसे रहे बताया कि पूर्णिमा और अमावस्या को एक छोटा सा हवन करना चाहिए। भारतीय संस्कृति यज्ञ की संस्कृति है। इस हवन का पूजा या कर्मकाण्ड से कोई सम्बन्ध नहीं है। इससे शायद आपको स्वर्ग भी नहीं मिलेगा लेकिन इसको करने से घर स्वर्ग जैसा हो जाएगा। ऐसा मेरा विश्वास है और अनुभव भी। उन्होंने कहा कि पूर्णिमा और अमावस्या का चयन हमने इसलिए किया है कि पूर्णिमा देवताओं का दिन माना गया है और अमावस्या पितरों का दिन है, पितरों के आशीर्वाद से घर में संतान और सम्पत्ति आती है और देवताओं के आशीर्वाद से घर के संकट मिटते हैं और घर मंगलमय होता है। जिन घरों में यज्ञ का धुआं उठता हुआ दिखाई देता है, देवताओं और ऋषि-मुनियों की चेतना उसी घर में उतर आती है।


पूज्य संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि शुभ कार्य का शुभ एवं अशुभ का अशुभ फल मिलता है। कुछ लोग सोचते हैं कि पुण्य करने से पाप कट जाते हैं लेकिन ऐसा नही है, धर्म करने से धर्म बढ़ता है लेकिन अशुभ फल कटता नहीं है, अन्जाने में पाप सिर्फ एक बार होता है बार-बार नहीं, एक बार किया हुआ पाप व्यक्ति को अन्तिम समय तक याद रहता है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जैसे शरीर में नाभि केन्द्र का महत्व है उसी प्रकार संसार में मनुष्य के जीवन में यज्ञ का स्थान है इसलिए इस केन्द्र में सभी को आना पडे़गा। उन्होंने कहा कि वेदों में गायत्री मंत्र को महामंत्र और यज्ञ को श्रेष्ठतम कर्म कहा गया है इसलिए यज्ञ की परम्परा को जीवित रखना चाहिए। कोरोना वायरस का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक दुनिया में तीन लाख बीस हजार प्रकार के वायरस का आंकलन है। लेकिन विविध प्रकार की सामग्री द्वारा यज्ञ करने पर कई प्रकार के वायरस को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कई देश वायरस को यु़द्ध लड़ने के लिए तैयार कर रहे हैं।


महामण्डलेश्वर उमाकान्तानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति यज्ञ के बिना अधूरी है क्योंकि हमारे यहां हर प्रकार के कर्म में यज्ञ करने का विधान बताया गया है। उन्होने कहा कि हमारे धर्मिक आन्दोलन, सामाजिक सरोकार, सारा समाज जब सोचने लगता है तो अच्छा ही होता है। आज भारतीय संस्कृति कुछ बिगड़ रही है इसमें कथित आधुनिक शिक्षा भी दोषी है। लेकिन अभी हमने अपने संस्कार बचा कर रखे हैं। हमारा जीवन संस्कारों को बताता है। हमारी भारतीय संस्कृति भारतीय जीवन की परम्परा में रोज विचरण करती है, संस्कृति हमें आपस का रिश्ता बताती है।


इस मौके पर कुलपति गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय डाॅ रूप किशोर शास्त्री, डाॅ महावीर अग्रवाल प्रतिकुलपति पतंजलि, अ.भा. व्यस्था प्रमुख अनिल ओक, प्रांत प्रचारक युद्धवीर, जिला संघ चालक कुंवर रोहिताश्व, विभाग प्रचारक शरद, प्रदेश निरीक्षक विद्याभारती डाॅ. विजयपाल सिंह, आईपीएस जुगुलकिशोर तिवारी, अपर मेलाधिकारी डाॅ. ललितनारायण मिश्रा, अपर जिलाधिकारी वित्त के.के. मिश्रा, जिलपूर्ति अधिकारी वाराणसी दीपक वाष्र्णेय, अविनाश ओहरी, रमेश उपाध्याय, विमल कुमार, डॉ. विनोद आर्य, डॉॅ. जितेन्द्र सिंह, बृजभूषण विद्यार्थी, अनिल गुप्ता, सारिका शर्मा, संगीता गुप्ता, संदीप कपूर, पं. बालकृष्ण शास्त्री, डॉ. अश्विनी चैहान, रविन्द्र सिंघल, निशान्त कौशिक, रामचन्द्र पाण्डेय, नरेश मनचन्दा, आशीष वंशल, अन्जु जोशी, सोहनवीर राणा, सुशांत पाल, हरीश कुमार, हिमांशु चोपडा, मनोज गौतम, ताराचन्द विरमानी, ललित मिश्रा सहित सैकडों की संखया में मंगलमय परिवार के सदस्य उपस्थित थे ।



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