नवीन चौहान, हरिद्वार। अतिथि देवो भवः की परंपरा को निभाना कोई डीएवी स्कूल से सीखे। स्कूल के गेट पर आने वाले व्यक्तियों का सम्मान करना अपने आप में बहुत बड़ी बात हैं। ये बात उस स्थिति में और बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है जबकि स्कूल गेट पर खडे़ लोगों का स्कूल में कोई प्रयोजन ना हो। सभी लोग स्कूल गेट के सामने जनहित का कार्य सड़क पर खड़े होकर कर रहे हो। लेकिन डीएवी स्कूल के प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने ये साबित कर दिया है कि आर्य समाज की संस्था में जनहित का कार्य करने वाले नागरिकों को पूरा सम्मान दिया जाता है। ऐसे में अगर वो पुलिसकर्मी हो जो हमारी नैतिक जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती हैं। जनता की सुरक्षा और व्यवस्था के मिशन में निकली पुलिस का सम्मान करने का बड़ा काम डीएवी स्कूल ने किया है।
जगजीतपुर पुलिस चौकी के सामने डीएवी सेंटेनरी पब्लिक हैं। रविवार की सुबह करीब 11 बजे स्कूल गेट के बाहर रोटरी क्लब हरिद्वार की संस्था से जुड़े लोगों ने यातायात पुलिस की मदद से सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिये जनहित में रिफ्लेक्टर शिविर का आयोजन किया। रोटरी क्लब के तमाम लोग सुबह डीएवी स्कूल के गेट पर पहुंच गये। सभी लोग स्कूल गेट के सामने सड़क किनारे एक पेड़ के समीप खडे़ हो गये। इसी दौरान यातायात निरीक्षक हितेश कुमार और रविकांत सेमवाल का आगमन हो गया। पुलिस अधिकारी और रोटरी क्लब के लोग पेड़ किनारे ही रिफ्लेक्टर लगाने की तैयारी शुरू करने लगे। इसी दौरान स्कूल के प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित स्कूल में आयोजित एक परीक्षा के संबंध में बच्चों को देखने के लिये गेट पर आ गये। उनकी नजर यातायात पुलिस और संस्था के लोगों पर पड़ गई। प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने तत्काल स्कूल के कर्मचारियों को स्कूल गेट के सामने सभी के बैठने के लिये कुर्सी और मेज और पानी की व्यवस्था कर दी। इसी बीच एसपी क्राइम प्रकाश चंद्र आर्य वहां आ गये। प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने एसपी क्राइम प्रकाश चंद्र आर्य का स्वागत किया। उनको स्कूल की गतिविधियों की जानकारी दी। तथा सभी पुलिस अधिकारियों के लिये जलपान की व्यवस्था की गई। स्कूल के इस आदर सत्कार से यातायात पुलिस और एसपी क्राइम प्रकाश चंद्र आर्य बेहद प्रसन्न मुद्रा में नजर आये। ये खबर जनता की जागरूकता के लिये इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि पुलिसकर्मी डयूटी के साथ-साथ कानून का अनुपालन और जनता की सेवा और सुरक्षा का काम करती है। पुलिसकर्मियों का सम्मान करना सभी की आदत में शुमार होना चाहिये। लेकिन हमारे समाज में पुलिस को जो सम्मान दिया जाना चाहिये जनता वह सम्मान पुलिस को नहीं देती है। पुलिस को महज पुलिस ही मानती है।