हरिद्वार के डीएम, सीडीओ और तमाम अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज




नवीन चौहान
हरिद्वार जनपद में एक सबसे बड़े धोखाधड़ी के प्रकरण में आखिरकार साल 2003 से साल 2011 के बीच हरिद्वार में तैनात रहे तमाम जिलाधिकारियों, सीडीओ, पर्यटन अधिकारियों, उद्यान विभाग के अधिकारियों सहित कई अन्य विभागों के अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज हो गया है। हालांकि ये मुकद्मा कोर्ट के आदेश पर सिडकुल थाने में दर्ज हुआ है। इस मुकदमंे के दर्ज होने बाद इन तमाम अफसरों और अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नी तय है। पूरा मामला वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना के तहत धोखाधड़ी का है। आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने जनपद हरिद्वार में वीर चंद्र गढ़वाली स्वरोजगार योजना के तहत धन की बंदरबांट करने का मामला उठाया था। अधिकारियों की मिलीभगत से गरीबों को मिलने वाले ऋण की राशि अमीरों को आंबटित की गई। इस ऋण को लेने वाले कई भाजपा के बड़े नेता और विधायक की पत्नी तक शामिल रही। अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी जुटाई और मुकदमा दर्ज कराने की पहल शुरू की। लेकिन पुलिस ने इस गंभीर प्रकरण में टाल मटोल किया। आखिरकार अरूण भदौरिया ने कोर्ट की शरण ली और आठ सालों तक लंबी बहस हुई। कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए। जिसके बाद सिडकुल थाने की पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर अधिवक्ता अरूण भदौरिया की तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया। सिडकुल एसओ देवराज शर्मा ने मुकदमा दर्ज करने की पुष्टि की है। अधिवक्ता अरूण भदौरिया की तहरीर के मुताबिक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में साल 2003से 2011 तक 252 लोगों को ऋण उपलब्ध कराया गया। लेकिन इन लोगों में कई लोग अमीर है। इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने मिलीभगत कर अमीरों को ऋण की राशि मंजूर की गई। जिसमें नियमों की अनदेखी की गई और घोर भ्रष्टाचार हुआ है।



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