अपराधियों का पीछा करने निकले पुलिस तो तत्काल मिले खर्चा




नवीन चौहान
अपराधियों का पीछा करने और गुमशुदा बालिका को बरामद करने में तत्परता दिखाने वाली उत्तराखंड पुलिस के जवानों को तत्काल वाहन खर्चा मिलना चाहिए। जिससे पुलिसकर्मियों को तकलीफ का सामना ना करना पड़े।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को हरिद्वार के वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने पत्र भेजकर पुलिसकर्मियों की समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया है। अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने पत्र के माध्यम से बताया कि पुलिसकर्मी अपराधियों का पीछा करने के लिए गैर जनपदों में जाते है। इसके लिए वाहन की जरूरत होती है। इसके अलावा भोजन और आवास की व्यवस्था पुलिसकर्मी अपने स्तर पर करते है। जबकि अपराधियों को कोर्ट में पेश करने के दौरान भी पुलिसकर्मी अपने ही वाहन का उपयोग करते दिखाई दिए है। वाहन में डीजल और पैट्रोल का खर्च भी अक्सर स्वयं ही वहन करते है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर किसी गरीब की बेटी गुमशुदा हो गई। बच्ची की लोकेशन जयपुर में मिली। पुलिस टीम को तत्काल जयपुर रवाना होगा। जबकि साथ में महिला पुलिसकर्मी भी होगी। ऐसे में वाहन की जरूरत होगी। गरीब माता—पिता वाहन की व्यवस्था नही कर पायेंगे। पुलिसकर्मी अपने स्तर पर ही वाहन लेकर जयपुर जाते है।बच्ची के बरामद करने के बाद पुलिस अधिकारी पुलिस टीम को बधाई देते है। लेकिन इस प्रकरण का खुलासा करने वाली टीम के खर्च पर कोई चिंता नही करता है। अधिवक्ता ने बताया कि अक्सर इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व थाने के सिपाहियों को अपनी जेब से वाहन खर्च करते देखा गया है। जबकि उत्तराखंड का गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है। उम्मीद जताई है कि पुलिसकर्मियों को इस समस्या से निजात मिलेगी। राज्य सरकार पुलिस के लिए बजट की व्यवस्था बनाकर इस संकट से बाहर निकालेगी।



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