विज्ञान का सामाजिक ​जीवन में महत्वपूर्ण योगदान: डॉ. आरपी सिंह




नवीन चौहान.
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के स्वामी मनमंथन ऑडिटोरियम चौराहा कैंपस में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विज्ञान दिवस के कार्यक्रमों की श्रेणी में अगले 4 दिनों तक विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिसमें, छात्रों को विज्ञान में रुचि एवं अभिरुचि बढ़ाने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।

28 फरवरी को शुरू हुए विज्ञान दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग देहरादून के निदेशक डॉ. आरपी सिंह मौजूद रहे। कल्याण सिंह “मैती” और देवेंद्र मेवाड़ी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा एवं वर्तमान में एरीज नैनीताल में वैज्ञानिक पद पर कार्यरत डॉ विनीता पवार भी मौजूद रही।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर वाय पी सुंद्रियाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में अवगत कराया। तदुपरांत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. आरपी सिंह ने अपने व्याख्यान में रमन प्रभाव के बारे में विस्तार से बात की तथा विज्ञान का सामाजिक जीवन में उपयोगिता का वर्णन किया। उसके बाद विश्वविद्यालय की कुलपति तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने छात्रों को विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने के लिए प्रेरित किया।

कुलपति ने कहा कि छात्र देश के भविष्य हैं कथा इन वैज्ञानिक कार्यक्रमों के माध्यम से युवा मस्तिष्क को साइंस के प्रति और प्रतिदिन दिनचर्या के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायता मिलेगी। कुलपति ने आयोजकों को कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं दी। इसके इसके पश्चात कल्याण सिंह “मैती ने ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन के बारे में गंभीरता से बात की है तथा वैश्विक तापमान वृद्धि पर चिंता व्यक्त कीI हिमालय पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव तथा जैव विविधता पर्यावरण के प्रभाव पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने बनों के संरक्षण तथा उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की बात की जिससे कि हमारा अस्तित्व बचा रहे।

तत्पश्चात प्रसिद्ध विज्ञान लेखक एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित देवेंद्र मेवाड़ी ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने साहित्य एवं विकास के सामान्य की बात की और कहा कि साहित्य के बिना विज्ञान रूखा सा है। उन्होंने प्रोफेसर सीवी रमन के साथ अपनी मुलाकात के क्षणों को भी याद किया। श्री मेवाड़ी ने कहा कि साहित्य को यदि विज्ञान से जोड़कर पढ़ा जाए तो विज्ञान को और भी रुचिकर बनाया जा सकता है। उन्होंने विज्ञान और साहित्य के सामंजस्य की बात की।

कार्यक्रम की श्रृंखला में एरीज नैनीताल में वैज्ञानिक पद पर कार्यरत डॉ नीलम पवार ने अपने व्याख्यान में तारों की उत्पत्ति तथा संघटन के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की। विज्ञान सप्ताह के लिए आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों की श्रेणी में आज फोटोग्राफी और व्याख्यान का भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर हेमवती नंदन द्वारा विज्ञान सप्ताह के आगामी 5 दिनों के कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई‌ तथा कार्यक्रम के सचिव प्रोफेसर आर एस फर्त्याल द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया।



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