ईमानदार स्वीटी को कप्तान की कुर्सी से हटाने के पीेछे छिपा कोई गहरा राज




हरिद्वार। प्रदेश में सुशासन का दंभ भरने वाली त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार को उनके ही सलाहकार पलीता लगाने में लगे है। प्रदेश में ईमानदार पुलिस अफसरों को दरकिनार किया जा रहा है। जिसके चलते प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहे है। सरकारी अफसरोें के तबादलों पर अंगुलियां उठ रही है। इसी कड़ी में एक नाम ईमानदार आईपीएस अफसर स्वीटी अग्रवाल का जुड़ गया है। तेज तर्रार ईमानदार स्वीटी अग्रवाल का देहरादून जनपद से साढ़े पांच माह के भीतर ही तबादला कर दिया गया। इस तबादले के पीछे कोई गहरा राज है। जो पुलिस महकमे के एक बड़े अफसर के गले की फांस बना हुआ था। इस फांस को निकालने के लिये पुलिस अफसर ने प्रदेश के मुखिया के सलाहकार का प्रयोग कर तबादला कराने में अपना हित साध लिया। साथ ही मुखिया की नजरों में अपने नंबर भी बढ़ा लिये है। अब देखना है कि मुखिया के सलाहकारों का अगला निशाना किस अफसर पर है।
प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत बहुत ही साफ सुथरी छवि के सुलझे हुये नेता कहे जाते है। आरएसएस से जुड़े त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद ईमानदार है। इसी ईमानदारी के चलते देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने  प्रदेश की कमान त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों में सौंप दी। त्रिवेंद्र सरकार ने प्रदेश में कानून व्यवस्था बेहतर हो राज्य में विकास को गति मिले इसलिये उन्होंने सलाहकारों की नियुक्ति की गई। लेकिन मुखिया के सलाहकार राज्य हित की अनदेखी कर अपने संबंधों और सेटिंग गेटिंग को तवज्जों देने में लगे है। इन सलाहकारों ने कई तबादलों में अफसरों की काबलियत को दरकिनार कर दिया है। ताजा प्रकरण देहरादून के एसएसपी स्वीटी अग्रवाल के तबादले को लेकर है। तेज तर्रार आईपीएस अफसर स्वीटी अग्रवाल ईमानदार है और अपने कर्तव्य के प्रति सजग है। उन्होंने प्रदेश के हरिद्वार, नैनीताल और देहरादून के एसएसपी पदों पर रहने के दौरान ईमानदारी के साथ कानून व्यवस्था को बेहतर करने का कार्य किया। जनता का खाकी पर भरोसा कायम हो इसके लिये जनता और पुलिस के बीच की दूरी को कम करने का कार्य किया। पीड़ितों को न्याय दिलाने में महती भूमिका अदा की। इसके साथ ही देहरादून जनपद में एसएसपी रहने के दौरान भाजपा के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दौरों सहित कांग्रेस के स्टार प्रचारकों के चुनावी दौरों व रैलियों को सफलता पूर्वक सकुशल संपन्न कराया। महामहिम राष्ट्रपति के देहरादून आगमन पर सुरक्षा व्यवस्था बेहतर की गई। विधानसभा चुनाव निर्विवाद तरीके से शांतिपूर्ण संपन्न कराये। साढ़े पांच माह के देहरादून जनपद के अति व्यस्ततम कार्यकाल में गरीब बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में सकारात्मक कार्य को गति प्रदान की मुहिम शुरू की गई। इसी बीच अचानक स्वीटी अग्रवाल का तबादला किया जाना जनता के गले नही उतरा। उनके तबादले के पीछे किसी गहरे राज को दबाने की बू आने लगी। पुलिस महकमे के अफसरों ने इस राज को दबाने के लिये आईपीएस अफसर स्वीटी अग्रवाल को देहरादून एसएसपी की कुर्सी से हटाने की रणनीति बनाई। पुलिस अफसरों ने मुखिया के सलाहकारों की मदद से इस कार्य को अंजाम दिया। चर्चा है कि ऐसा कौन सा प्रकरण था जिसको खत्म कराने के लिये ईमानदार आईपीएस अफसर स्वीटी अग्रवाल को कुर्सी से हटाना जरुरी हो गया था। इसके अलावा भी कोई प्रकरण है जो खाकी के मुखिया की राह में बाधा बन रहा था। इन सवालों को जबाव तो वक्त के पास है। लेकिन त्रिवेंद्र सरकार को प्रदेश में सुशासन लाना है तो ईमानदार अफसरों को कुर्सी से हटाने के पीछे की ठोस वजह की जानकारी रखना जरुरी है। अन्यथा प्रदेश के मुखिया की कार्यशैली पर जनता संदेह करती रहेगी।
ईमानदारी ही बन गई राह का रोढ़ा
हरिद्वार। तेज तर्रार और अपनी ईमानदारी के लिये जाने जानी वाली आईपीएस अफसर स्वीटी अग्रवाल की ईमानदारी ही उन की राह का रोढ़ा बन गई है। कांग्रेस सरकार में इंदिरा हृदयेश के निशाने पर रही। तो भाजपा सरकार में खुद खाकी के अफसरों की आंखों में खटकने लगी। हालांकि हरिद्वार, नैनीताल, और देहरादून जनपदों का उनका कार्यकाल स्वीटी अग्रवाल की ईमानदारी की कहानी बयां कर रहा है। वह दारोगा और कोतवाल के स्थानांतरण में पूरी पारदर्शिता को अंजाम देती थी। दारोगा की काबलियत के आधार पर थानेदारी दी जाती रही। इसी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के चलते सरकार में बैठे मंत्रियों से उनका टकराव भी हुआ। हरिद्वार जनपद की एसएसपी रहने के दौरान हरिद्वार के भाजपा विधायक मदन कौशिक से भिडंत हुई। तो नैनीताल जनपद की एसएसपी रहने के दौरान कांग्रेस सरकार की हैवीवेट मंत्री इंदिरा हृदयेश को उनको हटाने के लिये मोर्चा खोलना पड़ा। इंदिरा हृदयेश तो मुख्यमंत्री हरीश रावत के दरबार में डेरा डाल कर बैठ गई थी। हल्द्वानी में एसएसपी स्वीटी अग्रवाल के सम्मान समारोह में सार्वजनिक मंच पर ही तत्कालीन कद्दावर मंत्री इंदिरा हृदयेश ने इस बात का खुलासा कर दिया था। इंदिरा ने तो यहां तक कह डाला कि मुझको चुनाव जीतना है तो स्वीटी तुमको नैनीताल से जाना होगा। बता दे कि एसएसपी स्वीटी अग्रवाल ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के अनुचित कार्य कराने से इंकार कर दिया था। जिसके चलते इंदिरा हृदयेश उनसे नाराज हो गई। नैनीताल से तबादले के बाद उनको करीब दो माह तक प्रतीक्षारत रखा गया। इसी दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी पार्टी की गिरती छवि और देहरादून में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये स्वीटी अग्रवाल की ईमानदार छवि को कैश कराने के लिये देहरादून जनपद में एसएसपी की कुर्सी सौंप दी। बताते चले कि नैनीताल की एसएसपी रहने के दौरान स्वीटी अग्रवाल ने ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य का पालन किया। कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने और जनता को न्याय दिलाने में लगी रही। इसके अलावा गरीब बच्चोें को शिक्षित करने के लिये सर्वोदय मिशन के तहत कार्य करने में जुटी रही। ईमानदार अफसरों की काबलियत का प्रयोग करना सरकार का धर्म है। इससे जनता और सरकार दोनों की भलाई है।
(रिपोर्ट- नवीन चौहान)


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