मेरठ।
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के द्वारा बुधवार को कैपेसिटी बिल्डिंग ऑन प्रोडक्शन एंड क्वालिटी एश्योरेंस इन एक्सपोर्ट ऑफ बासमती राइस विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान सरदार पटेल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी प्रांगण, मोदीपुरम में किया गया।
किसी भी स्तर पर न करें समझौता
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ आजाद सिंह पवार ने देश भर से जुटे बासमती निर्यातक, एफ पीओ, प्रगतिशील किसान आदि को संबोधित करते हुए कहा कि बासमती से सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है। लेकिन इस निर्यात को आगे बढ़ाने के लिए और किसानों तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए आवश्यक है कि किसी भी स्तर पर हम गुणवत्ता के साथ समझौता ना करें। उत्तम गुणवत्ता की बासमती का उत्पादन करके प्रोसेसिंग यूनिट में अच्छी से अच्छी क्वालिटी बनाकर दुनिया के सामने रखें जिससे अधिक से अधिक मूल्य मिल सके और हमारे किसानों की आय के साथ-साथ देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ सके।
155 देशों में किया जा रहा बासमती निर्यात: डॉ डीडीके शर्मा
कार्यक्रम में बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ डीडीके शर्मा ने बासमती धान में गुणवत्ता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत से 155 से अधिक देशों को बासमती का निर्यात किया जा रहा है। हमारे किसान अच्छी गुणवत्ता का बासमती उत्पादन करते हैं। लेकिन पेस्टिसाइड्स के अनुचित उपयोग के कारण कई बार निर्यात में दिक्कतें आ रही हैं। हमारे किसान भाई जानकारी के अभाव में गलत पेस्टिसाइड्स का चुनाव करके गलत समय पर या ज्यादा मात्रा का प्रयोग करते हैं। जिससे कई बार देश को नुकसान उठाना पड़ता है।
उचित रसायन का प्रयोग बेहद जरूरी
उन्होंने कहा कि किसान भाइयों को समझने की आवश्यकता है कि वह उचित रसायन का प्रयोग उचित समय पर उचित मात्रा के साथ करें। बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान और एपीड़ा हमेशा किसानों के साथ है और हमारे जो निर्यातक हैं उनको भी समय-समय पर विभिन्न जानकारियां उपलब्ध कराता रहता है। इसलिए सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी जितने भी इश्यू हैं उनका विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। हमें मिल में उसकी गुणवत्ता को उच्चतम बनाना है, जिससे कि अधिक से अधिक मूल्य हम प्राप्त कर सकें।
कैसे तैयार हो अच्छे से अच्छा चावल
इसी क्रम में देश भर से आए हुए निर्यातकों प्रगतिशील किसान सरकारी अधिकारी और वैज्ञानिकों के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया है, जिसमें बीईडीएफ की इंटरनेशनल लेवल में चावल की गुणवत्ता जांची जाए। किस प्रकार से हम अच्छे से अच्छे चावल को तैयार कर सकें और दुनिया के बाजारों में भेज सकें। इस संबंध में सभी जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही हैं।
निर्यात में आने वाली समस्या पर दी जानकारी
कार्यक्रम में अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के कार्यकारी निदेशक डॉ विनोद कॉल ने निर्यात में आने वाली विभिन्न समस्याओं एवं मिल में चावल के रखरखाव उसकी उचित पैकिंग भंडारण प्रोसेसिंग आदि विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
ऐसी प्रजाति हो रही विकसित जिनमें रसायन की जरूरत नहीं: डॉ गोपाला
कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ गोपालाकृष्णन प्रधान वैज्ञानिक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में बासमती की रिसर्च भविष्य में आने वाली प्रजातियां निर्यात में आने वाली चुनौतियां एवं उनसे निपटने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा किए जा रहे कार्यों पर गहराई से प्रकाश डाला। गोपाला कृष्णन ने बताया कि हम ऐसी प्रजातियां विकसित कर रहे हैं जिससे रसायनों के प्रयोग की आवश्यकता ही ना हो और जो प्रजातियां विकसित हो रही हैं वे सभी रोग और कीट प्रतिरोधी होंगी। जिससे हमारे देश के निर्यातकों की एक बड़ी समस्या जो रसायनों के अवशेष के कारण चुनौतियां झेलनी पड़ती हैं उनका अपने आप ही समापन हो जाएगा। गोपाला कृष्णन ने बताया कि चावल में बासमती एक अपनी अनोखी पहचान रखता है।
बासमती का 1930 से अब तक का सफर सुहाना
साल 1930 में रिलीज हुई बासमती 370 से लेकर और 2022 में अनुमोदित हुई पूसा बासमती 1847 तक का सफर बहुत सुहाना रहा है। हमारे किसानों के उत्पादकता, उत्पादन, क्षेत्रफल तीनों में लगातार वृद्धि हो रही है और बासमती से सामान्य चावल की तुलना में दोगुने से अधिक तक हमारे किसान आय प्राप्त कर रहे हैं।
लैब के बारे में दी जानकारी
कार्यक्रम में बीईडीएफ के मुख्य वैज्ञानिक एवं स्टेशन इंचार्ज डॉ अनुपम दीक्षित ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि बीईडीएफ कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशालाओं में निर्यातक किसान या अन्य संस्थाएं अपने चावल की गुणवत्ता की जांच करा सकती हैं। यहां की लैब के प्रमाण पूरी दुनिया में मान्य है। बीईडीएफ लगातार निर्यातकों के लिए किसानों के लिए कार्य कर रहा है। किसी भी तरह की समस्या बासमती की खेती में आती है तो उसके लिए बीईडीएफ से संपर्क किया जा सकता है।
सही पानी और खाद का प्रयोग तो दवाईयों की जरूरत नहीं: डॉ रितेश
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रितेश शर्मा प्रधान वैज्ञानिक बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान ने किया। बासमती धान के उत्पादन पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए बताया कि बासमती में यदि पानी और खाद का सही प्रयोग किया जाए तो दवाइयों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उन्होंने उत्तम कृषि पद्धतियों को अपनाने की सलाह देते हुए बासमती धान के गुणवत्ता युक्त उत्पादन पर प्रकाश डाला एवं फार्म का भ्रमण भी कराया।
कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित 12 एक्सपोर्ट हाउसेस के प्रतिनिधि, कृषि वैज्ञानिक, एफपीओ के मेंबर, प्रगतिशील किसान सहित विभिन्न संस्थाओं के अधिकारियों ने भाग लिया जिसमें करीब 100 लोगों ने प्रतिभाग किया।