नवीन चौहान.
उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर पहले चरण में यानि 19 अप्रैल को चुनाव होना है। इस समय उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट प्रदेश की पांचों सीटों में सबसे ज्यादा हॉट बनी हुई है। इस सीट पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जहां भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं तो कांग्रेस से पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे विरेंद्र रावत चुनाव मैदान में है। इस सीट पर सबसे पहला सांसद भगवान दास राठौड रहे।
हरिद्वार सीट सबसे पहले वर्ष 1977 में पहली बार अस्तित्व में आयी। पिछले 10 लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यहां 6 बार जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस ने चार बार जीत हासिल की। वर्तमान में यहां भाजपा का ही सांसद है। देवभूमि की हरिद्वार सीट की अपनी अलग पहचान है। हरकी पैड़ी, मां गंगा का तीर्थ स्थल, शक्तिपीठ मां मनसा देवी मंदिर और भारत की नवरत्न कंपनियों में शामिल भेल के साथ ही इसकी पहचान योग और आध्यात्म नगरी में भी की जाती है। देश-दुनिया में जितनी अलग पहचान हरिद्वार की है, उतना ही राजनीतिक दृष्टिकोण से भी ये काफी अहम है।
हरिद्वार लोकसभा सीट पर प्रत्याशी की जीत में मुस्लिम और दलित वोटरों की अहम भूमिका रहती है। 1977 में हरिद्वार सीट वजूद में आई तब यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। यह सीट 2004 तक पूरी तरह से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही। वर्ष 2009 में इस सीट को सामान्य घोषित किया गया। 1977 में भारतीय लोकदल के भगवानदास राठौड़ ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। तीन साल बाद ही इस सीट पर मध्यावति चुनाव कराए गए और साल 1980 में भारतीय लोकदल के जगपाल ने चुनाव जीता। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद ये सीट कांग्रेस के खाते में चली गई और सुंदर लाल सांसद चुने गए।
इसके बाद 1987 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर जीत हासिल की और राम सिंह ने चुनाव जीता। कांग्रेस की लहर का ही नतीजा रहा कि 1989 में एक बार फिर ये सीट कांग्रेस के खाते में चली गई, उस वक्त जगपाल सिंह यहां से सांसद चुने गए। 1991 के बाद बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की और रामसिंह सांसद बने। इसके बाद 1996 और 1999 तक लगातार बीजेपी के हरपाल सिंह साथी यहां से सांसद चुने गए। इसके बाद साल 2004 में समाजवादी पार्टी के राजेंद्र कुमार बॉडी ने चुनाव जीत कर कांग्रेस और बीजेपी को पटखनी दी।
2009 में कांग्रेस नेता हरीश रावत यहां से सांसद चुने गए और उसके बाद 2014 के चुनाव में पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल भाजपा के टिकट पर चुनाव लडे और जीत हासिल की। 2019 में भी वह फिर चुनाव मैदान में उतरे और हरिद्वार सीट से जीत हासिल की। वर्तमान में इस सीट पर चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार कुल 20 लाख 35 हजार 726 लगभग मतदाता हैं, जिनमे 9 लाख 64 हजार 739 महिला व 10 लाख 70 हजार 828 पुरुष व 159 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं।
इस सीट पर 25 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यक हैं जिनमे मुस्लिम अधिक संख्या में है जो प्रत्याशी की हार जीत में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन इस बार के चुनाव में मुस्लिम वोटरों के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं। यहां त्रिकोणीय मुकाबला दिखायी दे रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत हैं जो मुस्लिम समाज मे सबसे अधिक पकड़ रखते हैं, वहीं विधायक और निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार भी मुस्लिम समाज में अच्छी पकड़ बनाये हुये हैं। इस बार भाजपा की ओर भी मुस्लिम वर्ग का झुकाव देखा जा रहा है। बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी मौलाना जमील अहमद काशमी को प्रत्याशी बनाया है।
यदि बात करे सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की तो 2019 के चुनाव में भी यह पार्टी सबसे बड़ी पार्टी यानी विजयी पार्टी रही थी। जिसे लगभग 52.6 प्रतिशत वोट पिछले चुनाव में मिला था और वर्तमान सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक 2 लाख 58 हजार 729 वोट से विजय हुए थे। कांग्रेस को 32 प्रतिशत वोट मिले थे।