मेरठ। चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के जन्तु विज्ञान के परास्नातक छात्र-छात्राओं ने सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी में शैक्षिक भ्रमण किया। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने कृषि विवि के कुलपति प्रो0 केके सिंह के मार्गदर्शन और नेतृत्व में चल रहे मत्स्य प्रदर्शन एवं शोध इकाई, कुक्कुट पालन इकाई, पशुधन इकाई, बकरी पालन इकाई का भ्रमण कर प्रयोगात्मक और सैद्धांतिक जानकारी हासिल की।

मत्स्य प्रदर्शन एवं शोध इकाई पर प्रभारी डॉ डीवी सिंह ने मत्स्य प्रजनन एवं बीज उत्पादन पर विस्तृत जानकारी छात्र छात्राओं को दी। डॉ डीवी सिंह ने बताया कि उत्प्रेरित प्रजनन का सबसे बड़ा लाभ है कि शुद्ध मछली स्पान, फ्राई एवं अंगुलिका प्राप्त हो जाती है।

डॉ डीवी सिंह ने बताया कि डॉ हीरा लाल चौधरी को उत्प्रेरित प्रजनन के जनक के रूप में सम्मानित किया गया, उन्हें नीली क्रांति का अग्रदूत माना गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं को जाल चलवाकर मछली की विभिन्न प्रजातियों की पहचान, मछली को इंजेक्शन लगाना, मछली की हैचरी को चलाना, तालाब में दाना डालना, चूने का प्रयोग करना तथा तालाब के खादी करण इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

रोहू, कतला, नैन्, कामन कॉर्प, सिल्वर कॉर्प, ग्रास कॉर्प तेज बढ़ने वाली मछलियां है। इनका प्रजनन उत्प्रेरित प्रजनन द्वारा किया जा सकता है। यह शैक्षिक भ्रमण डॉ एके चौबे प्रोफेसर जन्तु विज्ञान तथा डॉ दुष्यंत कुमार चौहान, सहायक प्रा0 जन्तु विज्ञान, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नेतृत्व में आया।

कुक्कुट शोध प्रशिक्षण केंद्र पर डॉ0 डीके सिंह विभागाध्यक्ष, एलपीएम एवं डॉ मनोज कुमार सहायक प्रा0 ने कुक्कुट प्रबंधन, फीड फारमूलेशन एवं रोग नियंत्रण पर विस्तार से चर्चा की। डॉ सिंह ने चिकन ब्रीड के बाजार में उत्पाद की बिक्री तथा निर्यात पर विस्तार से चर्चा की।

पशुधन अनुसंधान केंद्र पर डॉ राम कुमार, सहायक प्राध्यापक, एलएफसी ने गाय व भैंस की नस्ल, खानपान, की व्यवस्था एवं प्रबंधन की वित्तृत जानकारी दी।

इस अवसर पर डॉ विवेक अधिष्ठाता कृषि, डॉ गजे सिंह विभागाध्यक्ष कीट विज्ञान विभाग, डॉ देवाशीष प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, पशु पोषण, डॉ कमल खिलाड़ी विभागाध्यक्ष पादप रोग विज्ञान आदि मौजूद रहे।