पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में धूमधाम से मनायी गयी भगवान कार्तिकेय जयंती एवं गुरु छठ पर्व




  • हमारे आराध्य है भगवान कार्तिकेय: श्रीमहंत रविंद्र पुरी
  • भगवान कार्तिकेय देव सेनाधिपति है: आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि
  • गंगा के जय जयकारों के बीच कलश यात्रा नेपाल के लिए हुए रवाना

नवीन चौहान.
हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी अखाड़े में भगवान कार्तिकेय जयंती और गुरु छठ पर्व धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

सर्व प्रथम भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना कर आरती उतारी। इसके उपरांत गंगोत्री से पहुंचे गंगाजल की पूजा कर हर हर गंगे की जयकारों के साथ गंगाजल के कलश को पशुपति नाथ मंदिर के लिए रवाना किया।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि भगवान कार्तिकेय हमारे आराध्य है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय का जन्म तारकासुर के संहार के लिए हुआ था।

तीनों लोकों में हाहाकार मचा रहे तारकासुर का वध कर भगवान कार्तिकेय ने संसार को उसके आतंक से मुक्ति दिलायी। भगवान शिव के आर्शीवाद से उत्पन्न हुए कार्तिकेय का लालन पालन कृतिकाओं द्वारा होने के कारण उनका नाम कार्तिकेय पड़ा।

इनकी पूजा करने से परिवारों में सुख समृद्धि का वास होता है। निरंजनी अखाड़े में पूर्ण विधि विधान के साथ भगवान कार्तिकेय की आरती उतारकर पूजन किया गया। उन्होंने छठ पर्व की सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पूर्वांचल के लोग गंगा तटों पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवारों की सुख समृद्धि की कामना करते हैं।

निश्चित तौर पर सच्चे मन से की गई प्रार्थनाओं का अवश्य ही फल प्राप्त होता है। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि भगवान कार्तिकेय भगवान देवताओं के सेनापति है। बलवान एवं रक्षक देवता है।

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के आराध्य और निरंजन स्वामी है। इनका पूजन और उपासना बड़े ही सरल एवं शांत ढंग से की जाती है। इनकी उपासना करने से त्वरित मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

श्रीमहंत रामरतन गिरि व श्रीमहंत दिनेश गिरि ने कहा कि भगवान कार्तिकेय समस्त जगत के तारणहार हैं। विधि विधान से भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख पदम् सिंह ने कहा कि धार्मिक परंपराओं के पालन से ही धर्म की महत्ता प्रतिष्ठित होती है। सभी को धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए धर्म के संवर्द्धन में योगदान देना चाहिए।

इस अवसर पर आचार्य गौरी शंकर दास, रावल शिव प्रकाश महाराज, महामंडलेश्वर यतिंद्रानंद गिरि, महामंडलेश्वर ललितानंद गिरि, महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद, श्रीमहंत महेश पुरी, श्रीमहंत राधे गिरी, श्री महंत नरेश गिरि, श्री महंत केशव पुरी,श्री महंत शिव वन, महंत राकेश गिरी, राधेश्याम पुरी, नीलकंठ गिरि, सुखदेव पुरी, दिगंबर आशुतोष पुरी, आलोक गिरि, दिगंबर राजगिरी, महंत रविपुरी, आरके शर्मा,वैभव शर्मा, डॉ सुनील कुमार बत्रा, विकास तिवारी, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी दिगंबर राजगिरी, अनिल शर्मा, बिंदु गिरि, आदि उपस्थित रहे।



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