नवीन चौहान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक नंबर चार की पोजिशन पर थे। गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद शिक्षा मंत्री डॉ निशंक का नाम था। डॉ निशंक हरिद्वार लोकसभा सीट से दूसरी बार जीत दर्ज कर सांसद बनते ही सीधे शिक्षा मंत्रालय में बैठे। उनका शिक्षा मंत्री बनना जिनता चौंकाने वाला था, उतना ही चौंकाने वाली उनकी विदाई रही। या यूं कहे कि डॉ निशंक के कामकाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुश नही थे। डॉ निशंक के कार्य करने का तरीका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रभावित नही कर सका। हालांकि डॉ निशंक की विदाई के कारणों पर उनके खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया जा रहा है। लेकिन मोदी सरकार में कुछ यूं ही नही होता। सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से और सियासी गुणा भाग करने के बाद होता है। संघ से जुड़े लोग बताते है कि डॉ निशंक मोदी की अपेक्षा के अनुरूप पूरी पारदर्शिता से कार्य नही कर पाए। उनकी विदाई का यही सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है।
पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक साल 2014 और साल 2019 में दूसरी बार हरिद्वार लोकसभा सीट से जीत दर्ज करके सांसद बने। हालांकि लोकसभा जाने के बाद डॉ निशंक की सक्रियता हरिद्वार में ज्यादा नही रही। इसी कारण हरिद्वार की जनता की नाराजगी का सामना भी निशंक को 2019 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिला। लेकिन मोदी की लोकप्रियता और उनके चेहरे के सामने हरिद्वार की जनता ने डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को अपना मत दिया और जीत दिलाई।
नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो सबसे चौंकाने वाला नाम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का आया जब उनको केंद्रीय शिक्षा मंत्री का दायित्व सौंपा गया। उत्तराखंड की राजनीति से निकलकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पद तक पहुंचने पर डॉ निशंक और उनके समर्थकों की खुशियों का ठिकाना ना रहा।
डॉ निशंक ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तो संभाला लेकिन हरिद्वार की जनता से उनकी दूरी अब और बढ़ गई। हरिद्वार में उनके चुनिंदा दौरे हुए और भाजपा कार्यालय और समर्थकों तक सिमटकर रह गए। हरिद्वार की जनता उनका चेहरा तक देखने को तरस गई। वही दूसरी ओर नई शिक्षा नीति को डॉ निशंक अपनी उपलब्धि मान रहे थे। उनको लगा था कि वह अदभुत कार्य कर रहे है। जबकि टीम मोदी के सुपर विजन में नई शिक्षा नीति की पटकथा तैयार हो रही थी। जबकि निशंक अपनी उपलब्धियों का बखान करते दिखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन मस्तिष्क में डॉ निशंक का प्रभाव कम होने लगा। वही शिक्षा विभाग से जुड़े कई मामलों में डॉ निशंक की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई। इधर डॉ निशंक का स्वास्थ्य खराब हुआ और वही मोदी सरकार से उनकी विदाई की पटकथा तैयार हो गई। तो यह मान लिया जाए कि मोदी सरकार में उनकी परफारमेंस खराब रही। जो निशंक की विदाई का कारण बनी। हालांकि ऐसा नही कि उत्तराखंड के प्रतिनिधित्व में पीएम मोदी ने कोई कमी की है। नैनीताल सांसद अजय भटट को मंत्रीमंडल में शामिल करने की तैयारी की जा चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री और पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत को भी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। ऐसे में निशंक की यूं विदाई उनके समर्थकों को निराश जरूर कर रही है।