हरिद्वार के पूर्व डीएम, सीडीओ और पर्यटन अधिकारी के खिलाफ मुकदमे के आदेश




नवीन चौहान
उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे है। एनएच घोटाले, छात्रवृत्ति घोटाले के बाद एक बार फिर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन योजना के ऋण में धोखाधड़ी का मामला सुर्खियों में है। इस मामले में बेरोजगारों के नाम पर दिए जाने वाले ऋण की बंटरबांट की गई। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन योजना के नाम पर बेरोजगारों के लिए दिए जाने वाला ऋण अमीरों को दिया गया। इस मामले में अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने धारा 156/3 सीआरपीसी के तहत मुकदमा दर्ज करने का प्रार्थना पत्र दिया था। इस प्रार्थना पत्र की सुनवाई के बाद कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं। उक्त मुकदमे में साल 2004 से 2011 तक के तत्कालीन डीएम, सीडीओ और पर्यटन अधिकारी सहित कई विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए गए है।
हरिद्वार के रूद्र विहार कालोनी निवासी अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने प्रथम एसीजे एसडी हरिद्वार की कोर्ट में जिलाधिकारी हरिद्वार के खिलाफ वाद दाखिल किया। अरूण भदौरिया ने अपनी शिकायत में बताया कि उत्तराखंड सरकार ने साल 2003-04 में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना आरंभ की थी। इस योजना में साल 2003-04 से 31 मई 2011 तक 252 लोगों को ऋण मंजूर किया गया था। ऋण लेने वाले व्यक्ति को अपने को बेरोजगार दर्शाते हुए एक शपथ पत्र देना था। व्यक्ति हरिद्वार का स्थायी निवासी होना चाहिए था तथा किसी बैंक से डिफाल्टर ना हो। जिला स्तरीय योजना क्रियान्वन एवं अनुश्रवण समिति लाभार्थियों का चयन करती थी। समिति ही लाभार्थियों का चयन करती रही। प्रार्थना पत्र में बताया गया कि चयन समिति ने नियमों की पूरी तरह से अनदेखी की गई। तथा कई अमीरों को बेरोजगार बताते हुए ऋण की राशि मंजूर कर दी। इस संबंध में तत्कालीन एसएसपी और रानीपुर कोतवाली को तमाम साक्ष्यों के साथ शिकायत दर्ज कराई गई। लेकिन कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। जिसके बाद इस प्रकरण में अधिवक्ता अरूण भदौरियों ने कोर्ट की शरण ली। 23 दिसंबर 2011 को कोर्ट में धारा 156!3 सीआरपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। करीब आठ साल की लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी दी है। अधिवक्ता अरूण भदौरिया ने बताया कि प्रथम एसीजे! एसडी कोर्ट ने साल 2003-04 से लेकर साल 2011 तक के अधिकारियों जिसमें तत्कालीन जिलाधिकारी हरिद्वार, मुख्य विकास अधिकारी, जिला पर्यटन विकास अधिकारी, प्रबंधक अग्रणी बैंक, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र, नाबार्ड का प्रतिनिधि, और परिवहन का प्रतिनिधि के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।



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