नवीन चौहान
आयुर्वेद को विश्व पटल पर ख्याति दिलाने में जुटे पतंजलि योगपीठ परिसर में एक नई अनुसंधान लैब का उद्घाटन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया। लैब की उपयोगिता आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में कारगर होगी।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान में आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित एक नई अनुसंधान लैब का उद्घाटन आचार्य प्रद्युम्न महाराज तथा श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण ने संयुक्त रूप से किया। महाराज द्वारा किया गया। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने संबोधित करते हुए कहा कि इस लैब के निर्माण का एकमात्र उद्देश्य आयुर्वेद को विश्व की सर्वोच्च औषध प्रणाली (Medicinal System) के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि पतंजलि के प्रयासों से देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ी है। लोग भारतीय ऋषियों के गहन अनुसंधान आधारित सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति की ओर लौट रहे हैं। आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर सुस्वास्थ्य का संचार करता है। आयुर्वेद मात्र उपचार नहीं अपितु एक सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। आयुर्वेद शरीर में वात, पित्त और कफ- तीनों मूल तत्वों में संतुलन स्थापित करता है। ये तीनों मूल तत्व यदि संतुलित हो जाएँ तो मनुष्य कभी रोगी होगा ही नहीं।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ.अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता दिलाने का कार्य पूज्य आचार्य जी के सर्वश्रेष्ठ दिशानिर्देशन में सही समय पर तथा सही दिशा में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस लैब का संचालन श्रद्धेय आचार्य जी महाराज स्वयं करेंगे, जिसमें विशुद्ध रूप से नई आयुर्वेदिक औषधियों की संरचना एवं निर्माण किया जाएगा। इसके उपरान्त इन नई औषधियों पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान स्थित अन्य लैब विस्तृत परीक्षण करेंगी।
आयुर्वेद को विश्व पटल पर ख्याति दिलाने में जुटे पतंजलि योगपीठ परिसर में एक नई अनुसंधान लैब का उद्घाटन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया। लैब की उपयोगिता आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में कारगर होगी।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान में आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित एक नई अनुसंधान लैब का उद्घाटन आचार्य प्रद्युम्न महाराज तथा श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण ने संयुक्त रूप से किया। महाराज द्वारा किया गया। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने संबोधित करते हुए कहा कि इस लैब के निर्माण का एकमात्र उद्देश्य आयुर्वेद को विश्व की सर्वोच्च औषध प्रणाली (Medicinal System) के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि पतंजलि के प्रयासों से देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ी है। लोग भारतीय ऋषियों के गहन अनुसंधान आधारित सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति की ओर लौट रहे हैं। आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर सुस्वास्थ्य का संचार करता है। आयुर्वेद मात्र उपचार नहीं अपितु एक सम्पूर्ण जीवन पद्धति है। आयुर्वेद शरीर में वात, पित्त और कफ- तीनों मूल तत्वों में संतुलन स्थापित करता है। ये तीनों मूल तत्व यदि संतुलित हो जाएँ तो मनुष्य कभी रोगी होगा ही नहीं।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ.अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता दिलाने का कार्य पूज्य आचार्य जी के सर्वश्रेष्ठ दिशानिर्देशन में सही समय पर तथा सही दिशा में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस लैब का संचालन श्रद्धेय आचार्य जी महाराज स्वयं करेंगे, जिसमें विशुद्ध रूप से नई आयुर्वेदिक औषधियों की संरचना एवं निर्माण किया जाएगा। इसके उपरान्त इन नई औषधियों पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान स्थित अन्य लैब विस्तृत परीक्षण करेंगी।
उद्घाटन कार्यक्रम से पूर्व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया गया। कार्यक्रम में पतंजलि योग समिति की मुख्य महिला केन्द्रीय प्रभारी साध्वी आचार्या देवप्रिया, स्वामी परमार्थ देव, मुख्य महाप्रबंधक ललित मोहन, मुख्य केन्द्रीय प्रभारी राकेश , सम्प्रेषण विभाग प्रमुख बहन अंशुल , मीडिया प्रभारी बहन पारुल , ऋषि आर्य, वेदप्रिया आर्या , साधना, प्रदीप नैन आदि उपस्थित रहे।