पतंजलि में ऑमीक्रोन JN-1 के स्पाइक प्रोटीन पर होगा अनुसंधान: आचार्य बालकृष्ण




नवीन चौहान.
हरिद्वार। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के वैज्ञानिकों ने सतत् अनुसंधान से कोरोनिल का अविष्कार कर कोरोना के क्रूर पंजो से हजारों जीवन बचाये थे तथा मानव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के इतिहास में आयुर्वेद का परचम लहराया था। अब कोरोना के नये वैरिएंट पर अनुसंधान करने हेतु चीन की साइनो बॉयोलॉजिकल लैब से स्पाइक प्रोटीन मंगाया गया है, जिस पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक रिसर्च करेगें।

वर्तमान में कोरोना का नया वैरिएंट ऑमीक्रोन JN-1 पुनः सम्पूर्ण विश्व में अपने पैर पसार रहा है। कोरोना चिकित्सा के क्षेत्र में अपने अनुसंधान कार्यों को आगे बढ़ाने के क्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा चीन की साइनो बॉयोलॉजिकल लैब से मंगाये गये स्पाइक प्रोटीन पर नवीन अनुसंधान कार्य आरम्भ कर दिया गया है। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जिस तरह से कोरोना ने भयावह तथा विकराल रूप से सम्पूर्ण विश्व को भयभीत किया तथा अत्यधिक पीड़ा पहुँचायी अब उसी का नया वैरिएंट ऑमीक्रोन JN-1 देश-विदेश में फैल रहा है। इस वायरस से होने वाले रोग की चिकित्सा हेतु जो अनुसंधान करना है उसके लिए वायरस के स्पाइक प्रोटीन की आवश्यकता होती है और हमें गर्व है कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान वह पहली संस्था है जहाँ ऑमीक्रोन JN-1 वायरस का स्पाइक प्रोटीन चीन की साइनो बॉयोलॉजिकल लैब से पहुंच चुका है। यह वायरस बहुत खतरनाक है परन्तु उसकी स्पाइक प्रोटीन पर कार्य करके ही उसका समाधान पाया जा सकता है। सबसे अधिक प्रयास स्पाइक प्रोटीन को बचाने का करना पड़ता है क्योंकि यह बहुत दूर चीन से मंगाया गया है। इसे मंगाने के लिए हमें काफी परिश्रम और सम्पर्क करना पड़ा बहुत सारी जटिल प्रक्रियाएं पूर्ण करने के उपरांत लगभग डेढ़ माह बाद यह स्पाइक प्रोटीन हमें मिल पाया है जो हमारे वैज्ञानिकों को काफी उत्साह और प्रेरणा देने वाला है।

इस ओमीक्रॉन JN-1 वायरस का स्पाइक प्रोटीन पर अनुसंधान कर हम सम्पूर्ण विश्व को पुनः यह दिखायेंगे कि पतंजलि किस प्रकार से आयुर्वेदिक औषधियों पर अनुसंधान कर उनका निर्माण करता है तथा मॉडर्न मेडिकल सांइस के जो स्टैण्डर्ड तथा पैरामीटर्स है उन पर योग व आयुर्वेद को पुनः स्थापित करने का कार्य पतंजलि कर रहा है। हमारे पास विश्व के आधुनिकतम अनुसंधान लैब, उपकरण तथा एक्सपर्ट सांइटिस्ट की टीम उपलब्ध है। पतंजलि एक विश्वास का नाम है तथा करोड़ो लोगों का भरोसा पतंजलि के साथ जुड़ा हुआ है। पतंजलि वैज्ञानिक अनुसंधान तथा उसके उच्च स्तरीय मापदण्डों के साथ कोई समझौता नहीं करता। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि ओमीक्रॉन JN-1 वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर कोरोनिल के इस्तेमाल से इन्फेक्शन कन्ट्रोल का ट्रॉयल किया जायेगा, जिसके परिणाम वायरस कन्ट्रोल के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित करेंगे।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *