नवीन चौहान
छात्रवृत्ति घोटाले के मास्टर माइंड शिक्षा माफियाओं को जेल जाने का डर सताने लगा हैं। सैंकड़ों घोटालेबाजों की आंखों से नींद गायब हो गई है जबकि दिल की धड़कने तेजी से बढ़ रही है। छात्रृवत्ति घोटाले की जांच कर रहे एसआईटी प्रमुख आईपीएस मंजूनाथ टीसी की ईमानदारी और बुलंद हौसले ने घोटालेबाजों को मानसिक तौर पर पूरी तरह से कमजोर बना दिया है। अब घोटालेबाज इस केस की जांच पर परदा डालने के लिए इधर-उधर भागे घूम रहे है। नेताओं की शरण ले रहे है। लेकिन आईपीएस मंजूनाथ के सामने पेश होने से पहले उनके कदम लड़खड़ा रहे है। एसआईटी की एक-एक गिरफ्तारी घोटालेबाजों की मनोबल तोड़ रही हैं। अभी इस प्रकरण में आईटीआई, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज समेत डिग्री कॉलेजों की कुंडली खंगाली जा रही है। ऐसे में छात्रवृत्ति घोटाले के मास्टर माइंड समाजसेवी और सफेदपोश जेल की व्यवस्थाओं की जानकारी ले रहे है।
उत्तराखंड में एससी-एसटी के छात्रों को सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति की राशि में बड़ा गोलमाल हुआ। फर्जी एडमिशन दिखाकर निजी कॉलेजों से सरकार और छात्रों की आंखों में खूब धूल झोंकी। सरकार की हीलाहवाली ने निजी कॉलेजों के हौसलों को हवा दी। जिसका नतीजा ये रहा कि उत्तराखंड के हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंह नगर और अन्य जनपदों में किराये के कमरों में चल रहे निजी कॉलेजों ने छात्रवृत्ति की धनराशि में खूब फर्जीबाड़ा किया। उत्तराखंड कर्ज में डूब रहा था, लेकिन शिक्षा माफियाओं की पौ-बारह हो रही थी। शिक्षा माफियाओं ने आलीशान बंगले, लग्जरी गाडि़यां खरीदकर अपना सामाजिक रसूक बढ़ा लिया और राजनैतिक चोला ओढ़ लिया। नेताओं की सरपस्ती में घूमने लगे। अब जब इस छात्रवृत्ति घोटाले की फाइल खुली तो राजनैतिक आकाओं ने भी किनारा कर लिया। इस हाईप्रोफाइल प्रकरण में सरकार की ओर से एसआईटी बनाई गई और 1 दिसंबर 2018 को सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की गई। जिसमें पहली गिरफ्तारी हुई।
रविवार 3 march 2018 को छात्रवृत्ति घोटाले में दूसरी गिरफ्तारी अमृत लॉ कॉलेज के निदेशक ओम त्यागी पुत्र अमृत लाल त्यागी निवासी ग्राम व पोस्ट धनौरी थाना कलियर की हुई। पुलिस विवेचना में करीब 14 करोड़ 85 लाख 85 हजार 40 रूपये का फर्जीबाड़ा पाया गया।
आरोपी के तीन प्रतिष्ठानों का फर्जीबाड़ा
आरोपी ओम त्यागी ने अमृत लॉ कॉलेज,अमृत कॉलेज ऑफ एजूकेशन और अमृत आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज धनौरी रूड़की में स्थापित किए। जिसमें करीब 15 करोड़ का फर्जीबाड़ा तस्दीक हुआ। एसआईटी ने विश्वविद्यालय से प्राप्त छात्रों के नाम की सूची और कॉलेज रिकार्ड का मिलान किया तो फर्जीबाड़ा पहली ही नजर में पकड़ा गया।
छात्रों का एडमिशन तो दिखाया पर परीक्षा में नदारद
आरोपी ओम त्यागी ने छात्रों का अपने कॉलेज में एडमिशन तो दिखाया लेकिन विश्वविद्यालय में उनका कोई रिकार्ड नही पाया गया। छात्रों ने कोई परीक्षा तक नही दी। ऐसे में जिन छात्रों ने शिक्षा ली ही नही उनके नाम से सरकार से छात्रवृत्ति हासिल करना अपने आप में एक संगीन अपराध है। जिसका खुलासा एसआईटी ने किया है।