नवीन चौहान, हरिद्वार।
इश्क का रोग बड़ा पुराना है। किसको कब कहां इश्क हो जाये ये बता पाना मुश्किल है। बीते दौर में प्यार करने की भी एक उम्र होती थी। तथा प्यार करने वालों में एक दूसरे के प्रति सम्मान होता था। बड़ों की शर्म होती थी। कुछ परदा होता था। लेकिन वर्तमान दौर में कच्ची आयु के बच्चे किशोर अवस्था से पूर्व ही इश्क के चक्कर में फंस रहे हैं। ये भारत के भविष्य के लिये गंभीर संकेत की ओर से इशारा कर रहे है। कक्षा छह से ही बच्चों ने स्कूल में अपनी पढ़ाई छोड़कर प्यार की पींगे बढ़ानी शुरू कर दी है। बच्चों ने गर्ल फेंड बना ली है। अपनी गर्लफेंड को इंप्रेस करने के लिये अपराध कर रहे है। कुछ बच्चे अपने अभिभावकों की जेब से पैंसे चोरी करके गर्लफेंड को मोबाइल, पर्स व तमाम उपहार गिफ्ट कर रहे। गर्लफेंड को सैर सपाटा करा रहे तो रेस्टोरेंट में पार्टी दे रहे है। किशोर अवस्था में लगा प्यार का रोग इन बच्चों के भविष्य को दांव पर लगा रहा है।
आपने प्यार के किस्से तो बहुत सुने होंगे। लैला मजनू से लेकर हीर रांझा और तमाम प्रेम कहानियां किताबों में पढ़ी होगी। लेकिन आज हम जिस प्रेम कहानियों की बात कर रहे है वो वर्तमान भारत के नौनिहालों की है। शिक्षा के मंदिर में ज्ञान का प्रसाद हासिल करने के लिये भेजे जाने वाले ये बच्चे प्यार की पींगे बढ़ा रहे है। को एजुकेशन में लड़के-लड़कियां एक साथ एक ही कक्षा में पढ़ रहे है। इस पढ़ाई के दौरान वह एक दूसरे की ओर आकर्षित हो रहे है। कच्ची उम्र के इस आकर्षण को वो प्रेम समझ रहे है। कई स्कूलों में तो कक्षा छह से बच्चों ने अपनी गर्लफेंड बना ली है। इन गर्लफेंड से फेसबुक और व्हाट्सएप पर चेटिंग कर रहे है। उनको घूमाने जा रहे है। एक दूसरे को मंहगे गिफ्टो का आदान प्रदान कर रहे है। इन तमाम जरूरतों को पूरा करने के लिये अपने ही घरों से चोरी करने से भी नहीं झिझक रहे है। 13 से 14 साल के इन बच्चों को ये भी नहीं मालूम कि वो अपराध की राह पर है। ऐसा ही एक खुलासा ज्वालापुर कोतवाली पुलिस ने किया जब एक नौवीं कक्षा के छात्र अपनी गर्लफेंड को पैंटागन मॉल घूमाने के लिये बाइक चोरी करने निकल गये। दोनों दोस्तों ने बाइक चोरी भी कर ली। लेकिन पुलिस ने पकड़ लिया। पुलिस पूछताछ में ये चौकाने वाला खुलासा हुआ कि गर्लफेंड को खुश करने व अपना प्रभाव जमाने के लिये चोरी की वारदात की है।
युवाओं ही भारत देश के भविष्य
किसी भी देश का भविष्य उस देश के बच्चे होते है। आज भारत की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में की जाती है तो उसमें भारत के युवाओं का योगदान है। भारत की संस्कृति, संस्कार और परंपरायें है। लेकिन इस हाईटेक युग में भारत के युवाओं का राह भटकना और कच्ची आयु में प्रेम चक्कर के पड़ना भारत के भविष्य के गंभीर परिणामों की ओर इशारा कर रहा है। भारत के युवाओं में ताकत की कमी महसूस की जाने लगी है। युवाओं में कार्य करने की क्षमता कम हो रही है। हर समय मोबाइल से चिपके रहना उनकी शारीरिक क्षमता को कमजोर बना रहा है। इसके साथ ये कच्ची आयु में प्यार की लत उनको अपराधी बना रही है।
टाईगर रिर्जब पार्क और नहर पटरी मुफीद जगह
हरिद्वार के चीला रेज के टाइगर रिजर्ब पार्क और नहर पटरी, सुरेश्वरी मंदिर के जंगलों और भेल स्टेडियम के आसपास पर कई कच्ची आयु के बच्चों को उनकी गर्ल फेंड के साथ देखा जा सकता है। हवा में उड़ती तेज रफ्तार बाइक गर्लफेंड को खुश करने के लिये चला रहे है। अपना जीवन खतरे में डाल रहे और अभिभावकों के सपनों को चकनाचूर कर रहे है।
मनोवैज्ञानिक ने मिलकर निकाले समस्या का हल
यदि आपका नौनिहाल पढ़ाई में मन नहीं लगा रहा है। मोबाइल पर चिपका रहता है। ज्यादा वक्त अकेले में गुजारता है तो समझ लेना कि वो किसी चक्कर में फंसा है। ऐसे बच्चों के अभिभावको को स्कूल टीचर से मिलकर उसकी प्रगति रिपोर्ट और दोस्तों के बारे में जानकारी करनी चाहिये। अभिभावकों को ज्यादा समय बच्चों के बीच में देना चाहिये। उनको समझने का प्रयास करना चाहिये। उनको सही और गलत का अंतर समझाना चाहिये। कोशिश करें कि उस पर अभिभावक गुस्सा ना करें। वह आत्मघाती कदम उठा सकता है। किसी मनोवैज्ञानिक की सलाह ले। लेकिन बच्चों की पिटाई और गुस्सा बिल्कुल ना करें।