कोविड की तीसरी लहर की आशंका के बीच उत्तराखंड में खुल रहे स्कूल




नवीन चौहान.
कोविड की तीसरी लहर की आशंका के मददेनजर प्रदेश सरकार अस्पतालों की व्यवस्थाओं को दुरूस्त कर रही है। सभी मंत्री से लेकर सचिवालय व जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर कोरोना महामारी की तीसरी लहर से निबटने की तैयारी कर रहा है। सरकार की ओर से जारी कोविड अनुरूप आचरण के संदेश प्रसारित किए जा रहे है। वही दूसरी ओर उत्तराखंड की प्रदेश सरकार आगामी 1 अगस्त 2021 से कक्षा छह से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों केे लिए स्कूल खोलने जा रही है। केबिनेट की मीटिंग में स्कूल खोलने को लेकर निर्णय कर लिया गया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने भी स्कूल खोलने को लेकर आधिकारिक घोषणा कर दी है।
ऐसे में सबसे चिंताजनक बात अभिभावकों की है। अभिभावक अपने नौनिहालों को स्कूल भेजने को लेकर सहमति प्रदान करते है या नही। स्कूल में बच्चे जायेंगे या नही। हालांकि, स्कूल प्रशासन की ओर से कोविड गाइड लाइन का पालन करने की बात की जा रही है। बच्चों के जीवन को सुरक्षित रखने के दृष्टिगत तमाम सार्थक प्रयास किए जा रहे है। इसके बाबजूद स्कूल प्रशासन सहमा हुआ भी है। कोविड की चपेट में बच्चे आ गए तो स्कूल प्रशासन को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय सरकार के गले की फांस बन सकता है। बच्चों में कोरोना संक्रमण फैला तो अभिभावकों की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह सरकार ही बनेगी। सरकार को जबाब देते नही बन पायेगा। आखिरकार, करीब डेढ़ साल से बंद स्कूलों को खोलने की जल्दबाजी के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठने लाजिमी है।
क्या कहते है स्कूल प्रधानाचार्य
डीपीएस रानीपुर के प्रधानाचार्य डॉ अनुपम जग्गा ने बताया कि उत्तराखंड सरकार के ​स्कूल खोलने के निर्णय के अनुसार स्कूल खोलने को तैयार है। बच्चों का स्वागत किया जायेगा। लेकिन स्कूल अलर्ट मोड में रहेगा। बच्चों के जीवन को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित बचाने के लिए स्कूल की ओर से तमाम प्रबंध पूरे ​किए जायेंगे। कोविड गाइड लाइन का अक्षरश: पालन कराने का हरसंभव प्रयास किया जायेगा। उचित सामाजिक दूरी का ख्याल रखा जायेगा। अलग—अलग शिप में कक्षाएं संचालित होगी। टैंप्रेचर चेकिंग होगी और मास्क अनिवार्य होगा। समस्त स्कूल स्टॉफ का वैक्सीनेशन सुनिश्चित होगा।
डीएवी स्कूल के कार्यवाहक प्रधानाचार्य मनोज कपिल ने बताया कि सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य है। कोविड नियमों का पालन करते हुए बच्चों की सुरक्षा के अनुरूप ही स्कूल संचालित किया जायेगा। अभिभावकों से सहमति लेने के बाद ही बच्चों को स्कूल बुलाया जायेगा। सरकार के निर्णायानुसार ही बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत ​शिक्षण कार्य कराया जायेगा। सर्वप्रथम बच्चों के जीवन को सुरक्षित रखना है।
वरिष्ठ पत्रकार कौशल सिखौला ने उत्तराखंड सरकार के इस निर्णय को उचित कदम बताया है। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज अनिश्चित काल के लिए बंद नही हो सकती है। जब मॉल, रेस्टारेंट, बाजार सभी कुछ खुल चुका है तो बड़े बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए। करीब डेढ़ साल से घरों में रहने के कारण बच्चों में मानसिक और शारीरिक समस्याओं ने घेर लिया है। बच्चे अवसादग्रस्त होने लगे है। सुरक्षित तरीके से बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए। कोविड की तीसरी लहर अगर आयेगी तो सरकार खुद ही स्कूल बंद कर देगी।
वरिष्ठ पत्रकार मुदित अग्रवाल ने बताया कि स्कूल खोलने का निर्णय उत्तराखंड सरकार का जल्दबाजी में उठाया गया कदम है। सरकार को कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के चलते पुर्नविचार करना चाहिए। बच्चों के जीवन की सुरक्षा के मददेनजर चिकित्सीय प्रबंधकों की व्यवस्था के दृष्टिगत ही स्कूल खोलने का निर्णय करना चाहिए। बच्चों के स्कूल में आवाजाही और स्कूल प्रबंधकों और अभिभावकों की सहमति बेहद जरूरी है। फिलहाल कोरोना संक्रमण को लेकर जो हालात बच्चों दिखाई दे रहे है, वह बच्चों को स्कूल भेजने की इजाजत नही देते है। ऐसे में अगर सरकार ने स्कूल खोलने का निर्णय किया है तो हो सकता है कि सरकारी स्तर पर चिकित्सा प्रबंध की तैयारियां पूरी कर ली गई होगी।
कांग्रेस पार्षद अनुज सिंह ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर के मददेनजर स्कूल खोलने के निर्णय से वह संतुष्ट नही है। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में लॉकडाउन की तैयारी चल रही है। जबकि उत्तराखंड सरकार स्कूल खोलकर बच्चों के ​जीवन को संकट में डालने का कार्य कर रही है। अगर बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए तो जिम्मेदारी किसकी होगी।
अभिभावक पुनीत गोयल ने बताया कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को सुनकर ही खौफ का मंजर आंखों के सामने आ जाता है। दूसरी लहर का परिणाम सभी देख चुके है। कितने परिवारों ने अपने बीच के सदस्य का जीवन खोया है। ऐसे में सरकार का यह निर्णय जल्दबाजी में उठाया गया कदम है।

अभिभावक विकास गर्ग ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर को देखने के बाद ही सरकार को स्कूल खोलने का निर्णय लेना चाहिए था। दूसरी लहर के बाद से ही अभिभावकों में कोरोना का डर व्याप्त है।



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