नवीन चौहान.
पुलिस के हत्थे चढ़ा शातिर शरद गोस्वामी रूड़की में बैठकर पूरे गैंग को संचालित कर रहा था। गैंग के सदस्य भी दूसरे राज्यों में लूट और चोरी की घटनाओं को अंजाम देकर उसके रूड़की स्थित ठिकाने पर ही पहुंचते थे।
कक्षा 10 पास है शातिर शरद गोस्वामी
शरद गोस्वामी द्वारा मोबाईलों के पासवर्ड व आई0एम0ई0आई0 को बदलकर गिरोह के सदस्य नदीम व अन्य के द्वारा अन्य देशों (श्रीलंका, चीन, नेपाल, दुबई, बांगलादेश, खाडी के अन्य देशों में (डोमोस्टिक फ्लाईट व पानी के जहाजों व प्राइवेट ट्रान्सपोटेशन के जरियें) भेज कर बेचे जाते थे।
आनलाइन ऐप चलता था धंधा
गिरोह के सदस्यों के द्वारा मोबाईलों को लूट/चोरी करने के बाद सभी मोबाईलों की फोटो खीचकर ऑनलाइन ऐप के द्वारा गैंगलीडर को भेज देते थे। जिनको देखकर शरद गोस्वामी (गैंगलीडर) मोबाईलों की फोटो पर कीमत लिखकर अन्य सदस्यों को वापस भेज देता था।
एक महीने में तीन हजार मोबाइल का कंसाइनमेंट
यह गिरोह हर महीने 2500-3000 मोबाईलों का कन्साईनमेन्ट बनाकर अन्य देशों व भारत के अन्य राज्यों में भेजता था। गिरोह के सदस्यों द्वारा लूटे/चोरी के मोबाईल खरीद व बेचकर करोडों रूपयों की सम्पत्ति अर्जित की गयी है।