सोनी चौहान
आचार्य विश्व स्वरूपानंद महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं अनंत हैं। श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा कर समग्र जगत को विनाश से बचाया और पर्यावरण संरक्षण तथा लोक कल्याण का संदेश दिया। श्री चेतना नंद गिरि आश्रम कनखल में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत कथा का रसपान स्वामी विश्वस्वरूपानंद गिरि महाराज ने कराते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा हमें परमार्थ की शिक्षा प्रदान करती है। यह ग्रंथ कर्म योग का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जब अर्जुन को गीता के ज्ञान से अवगत कराया तो उन्होंने यह संदेश दिया था कि मनुष्य को केवल अपना कर्तव्य पूर्ण करना चाहिए फल की इच्छा भगवान के ऊपर छोड़ देनी चाहिए।
गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाने के प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा मर्मज्ञ ने कहा कि भगवान कृष्ण की लीलाओं का पर्यावरण संरक्षण से गहरा नाता है। उन्होंने अपनी एक उंगली पर पूरे पर्वत को उठाकर पशुधन और ग्रामीणों के साथ पर्यावरण की रक्षा की थी। यह प्रकरण हमें यह संदेश देता है कि मनुष्य का धर्म है कि वह पशुधन से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक सभी के प्रति समर्पित होकर कार्य करें। कथा के पांचवे दिन कई अन्य प्रसंगों का भी विस्तार से वर्णन किया गया। संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर रोज आश्रम में जुट रहे हैं। आश्रम के महंत स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि महाराज के सानिध्य में चल रही कथा के दौरान रामानंदगिरि, स्वामी कृष्णानंदगिरि, शिवांश शर्मा, पूनम शर्मा, मुकेश शर्मा, निशांत शर्मा, अनुपम शर्मा, पूजा शर्मा, पूजा दीक्षित, स्नेहा शर्मा, वंदना शर्मा, आचार्य डंबर प्रसाद पैडोल, देवेंद्र शुक्ला समेत बड़ी संख्या में संत और श्रद्धालु कथा के आयोजन में सहयोग कर रहे हैं।