पुलिस की सख्ती के सामने निकला स्ट्रोन क्रेशर संचालकों का दम, नही उठा एक भी कंकड़





नवीन चौहान
पुलिस अगर अपने पर आए तो कोई एक कंकड़ तक नही उठा सकता है। अवैध खनन होना तो दूर की बात है। क्रेशर से एक भी वाहन बिना रवन्ने के नही निकल पाए। तो क्या मान लिया जाए कि अवैध खनन को रोकना और राजस्व जुटाने में पुलिस की अहम भूमिका है। पुलिस के संरक्षण के बिना क्षेत्र से अवैध खनन नही हो सकता है। जी हां इस बात की तस्दीक खुद पुलिस की बीते एक सप्ताह की डयूटी कर रही है। पुलिस की सख्ती के सामने स्ट्रोन क्रेशर संचालकों का दम निकल गया है। तहसील प्रशासन की टीम तो महज कागजी खाना पूर्ति ही करती है। खनन सामग्री की चोरी को रोकने की जिम्मेदारी भी पुलिस ही बेहतर निभा सकती है।
हरिद्वार में बीते दस दिनों से पुलिस ने खनन कारोबारियों पर पूरी तरह से शिकंजा कसा हुआ है। संबंधित थाने की चेतक पुलिसकर्मी सख्त निेगेहबानी कर रहे है। सड़क पर चलने वाले खनन सामग्री से भरे वाहनों को सीज कर रहे है। इसके अलावा स्टोन क्रेशरों के आसपास मजबूत जाल बिछाया हुआ है। क्रेशर के मुंशियों को खनन सामग्री नही देने की सख्त चेतावनी है। पुलिसकर्मियों की कर्तव्यनिष्ठा के चलते दस दिनों के भीतर करोड़ों रूपये के राजस्व की चोरी होने से बच गई। अगर ऐसा पूरे वर्षभर होना संभव हो पाया तो प्रदेश के राजस्व में जबरदस्त इजाफा होगा। क्रेशर से निकलने वाली खनन सामग्री का बाकायदा रवन्ना कटेगा। जिसके चलते प्रदेश का खजाना भरेगा।
लेकिन हकीकत में ऐसा होना संभव नही होता। एक निश्चित अवधि और लक्ष्य की पूर्ति के लिए ही सख्ती होती है। क्रेशर मालिकों की मजबूत पकड़ और सियासी संबंधों के चलते पुलिस के हाथ बांध दिए जाते है। पुलिस खुद को कमजोर महसूस करते हुए अपने कदम पीछे खींच लेती है और खनन के वाहनों से नजरे हटा लेती है। फिलहाल तो वैध खनन और या अवैध खनन पूरी तरह से बंद है। क्रेशर मालिकों का दम निकल रहा है। आगे ​कितने दिनों तक ऐसा चलेगा यह तो आने वाला वक्त बतायेगा।



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