जितना बड़ा नाम उतना ही बड़ा काम ऐसा व्यक्तिव है प्रोफेसर पीपी ध्यानी का




गगन नामदेव

कुर्सी का सम्मान करना और पद की गरिमा के अनुरूप कार्य करने वाले व्यक्ति ही समाज में प्रेरक कहे जाते है। ऐसे महापुरूष ही प्रेरणा के स्रोत्र बनकर समाज को दिशा दिखलाने का कार्य करते है। कर्तव्यपथ पर समर्पण भाव से कार्य करने की शैली ही उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को दर्शाती है। ऐसे महान लोगों के विचारों को सुनना सुखद अनुभूति प्रदान करता है बल्कि एक नई ऊर्जा का संचार भी करता है।
ऐसे ही महान व्यक्तित्व के धनी है प्रो पीपी ध्यानी। उत्तराखंड की माटी में जन्मे और शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम है। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीपी ध्यानी वर्तमान में उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति का कार्यभार भी संभाल रहे है। डॉ ध्यानी श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रह चुके और जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के पूर्व निदेशक और एक महान वैज्ञानिक भी है। प्रो पीपी ध्यानी जितने महान व्यक्तित्व हैं ,उतना ही बड़ा उनका कृतित्व भी है। सरल और सौम्य स्वभाव के कुलपति अपनी कार्यप्रणाली और कार्यशैली में एक जानी पहचानी प्रतिभा है। सामान्य जीवन में जितने सरल और सहज हैं ,प्रशासनिक कार्यों में उतने ही सख्त और कड़क मिजाज भी हैं। अनुशासन प्रिय, छात्रों के प्रति संवेदनशील, कर्तव्यनिष्ठ और नव अन्वेषण और नवाचार के प्रति सतत जागरूक अकादमिक विद्वान हैं।
मूल रूप से आप वैज्ञानिक हैं। प्रोफेसर ध्यानी एक जाने-माने अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक होने के साथ-साथ पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बड़े वैज्ञानिकों में एक पहचान हैं। उनके अधीन अनेक छात्र छात्राओं ने पारिस्थितिकी, पर्यावरण ,वनस्पति शास्त्र आदि में उत्कृष्ट शोध प्रस्तुत किए हैं, जिनका की हिमालयन पर्यावरण संवर्धन के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान है। वह शोध लाभकारी होने के साथ-साथ हिमालय के संरक्षण और संवर्धन के लिए भी उपयोगी है।
वनस्पति शास्त्री होने के नाते आपका विषय विशद है और आपकी 38 वर्ष की सेवाओं के दौरान हजारों छात्र-छात्राएं लाभान्वित हुए हैं ,जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना नाम कमाया है। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद प्रोफेसर ध्यानी ने विद्यालय की व्यवस्थाओं को सुधारने में आमूलचूल परिवर्तन किया। विद्यालय में व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त किया। समयबद्ध कार्ययोजना तैयार की। सेमेस्टर सिस्टम की व्यवस्था की। परीक्षाएं समय पर, सुचारू और सुव्यवस्थित रुप से संचालित हों, इस पर ध्यान दिया। कई किलोमीटर पैदल चलकर संबंधित विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया तथा मूलभूत कमियों को पूरा करने का भरसक प्रयास किया ।
प्रोफेसर ध्यानी जो कहते हैं वह करते भी हैं। उनकी करनी और कथनी में लेश मात्र भी अंतर नहीं है। विश्वविद्यालय की दशा सुधारने के लिए वह सतत प्रयासरत हैं। यद्यपि प्रोफेसर ध्यानी के ऊपर कार्य का अत्यंत बोझ है लेकिन अपने दायित्वों का निर्वहन वह इस प्रकार से करते हैं कि कहीं परेशानी का भाव उनके चेहरे पर झलकता भी नहीं है। प्रो. ध्यानी जी अपना अधिकांश कार्य श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के मुख्यालय चंबा ,टिहरी गढ़वाल से पूर्ण करते हैं। तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार आ जाने के कारण तथा विभिन्न संबद्ध विद्यालयों का निरीक्षण, अनुश्रवण आदि करने के लिए उन्हें मुख्यालय से बाहर जाना जरूरी होता है लेकिन फिर भी उनका सतत प्रयास रहता है कि विश्वविद्यालय के कार्यों में बिलंब न हो और किस प्रकार से विश्व विद्यालय को ऊंचाई तक ले जाया जाए। प्रोफ़ेसर ध्यानी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा शोध कार्यों के प्रति अत्यंत संवेदनशील है और अपनी विशद अनुभव ,ज्ञान तथा प्रतिभा के साथ धरातल पर उतरने का प्रयास भी करते हैं। एक पर्वतीय परिवेश का व्यक्ति होने के नाते कुलपति डॉ ध्यानी पहाड़ी क्षेत्रों के छात्र छात्राओं की संवेदनाओं को अच्छी प्रकार से समझते हैं। उनकी कठिनाइयों को जानते हुए, यथासमय उनका निराकरण करने का भी प्रयास करते है। ताकि छात्र छात्राओं को अपने प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिले और देव भूमि के अनुरूप उनके ज्ञान, कौशल ,वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सृजनात्मकता छात्रहित में उपयोगी साबित हो रही है। कुलपति प्रोफेसर ध्यानी ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का कार्यभार ग्रहण करने के बाद अमर शहीद श्री देव सुमन जी के गांव जौल (चंबा )को गोद लिया और उसे एक आदर्श ग्राम बनाने का संकल्प लिया। जिस पर वह कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के नायक वीसी गबर सिंह नेगी के नाम से एक हॉल की भी घोषणा की और महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में गणमान्य तथा बुद्धिजीवी वर्गों को आमंत्रित करने की बात भी कही।
प्रोफेसर पीपी ध्यानी की सकारात्मक सोच प्रदेश की उच्च शिक्षा में नया मार्ग प्रशस्त कर रहा है। युवाओ को स्वावलंबी बनाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य तथा उत्कृष्ठ सेवाओं का लाभ उच्च शिक्षा जगत को नई दिशा प्रदान करेगा। एक कुलपति के तौर पर डॉ ध्यानी छात्रों के लिए आदर्श बने रहेंगे।



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