इंसान की जिंदगी का सबसे बड़ा सहारा मोबाइल व इंटरनेट




नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण काल में इंसान की जिंदगी जीने का सबसे बड़ा सहारा बनकर मोबाइल उभरा है। मोबाइल में इंटरनेट की भूमिका सबसे अहम है। इंटरनेट के सहारे संक्रमित मरीज अपना वक्त गुजार रहे है। यू—टयूब पर वीडियों देख रहे है और आन लाइन खबरों के सहारे बाहरी दुनिया के संपर्क में है। वीडियो कॉल पर परिजनों से बातचीत कर रहे है।
कोरोना संक्रमण काल में इंसान की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। इंसान के जीने का तरीका बदल गया। समाज में दूरी बनाकर रखना एक नियम बन गया। खुद को कोरोना संक्रमण से बचाकर रखने के लिए इंसानों के बीच दूरी रखना अनिवार्य हो गया। परिवार के सदस्यों को एक दूसरे से दूर रहना एक नियम बन गया। ये हाल तो ठीक—ठाक व्यक्तियों का है। लेकिन कोरोना संक्रमित मरीजों की बात करें तो उनके लिए उनका मोबाइल ही सहारा बना हुआ है। जी हां आईसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों को अपना वक्त गुजारने के लिए मोबाइल और इंटरनेट की भूमिका सबसे अहम रही। अस्पताल के बिस्तर पर पड़े मरीज मोबाइल के सहारे जी रहे है। कोरोना संक्रमण के बारे में पढ़ रहे है। सकारात्मक विचारों को अपने मस्तिष्क में जगह दे रहे है। मोबाइल पर वीडियो देखकर अपना टाइम पास कर रहे है। परिजनों और मित्रों से बातचीत कर रहे है। लेकिन सबसे ज्यादा वक्त यू टयूब पर वीडियों देखकर गुहार रहे है।

स्कूल भी मोबाइल पर
जी हां कोरोना संक्रमण काल के बाद देशभर के तमाम स्कूल मोबाइल पर आ गए है। इंटरनेट की मदद से बच्चे पढ़ाई कर रहे है। बच्चों को होमवर्क भी मोबाइल पर ही मिल रहा है। बच्चों की आन लाइन परीक्षा हो रही है। कुल मिलाकर स्कूल मोबाइल पर ही संचालित हो रहे है।



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