बच्चों का मोबाइल प्रेम बना टीचरों के लिए परेशानी का सबब, लिखना भूल गए स्टूडेंटस





योगेश कुमार
कोरोना संक्रमण काल में बच्चों को आन लाइन पढ़ाई कराने के लिए थमाया गया मोबाइल अब टीचरों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। बच्चों को मोबाइल से बेहद प्रेम हो गया है। जिसके चलते उनके हाथों से मोबाइल नही छूट रहा है। जबकि सबसे चकित करने वाली बात है कि बच्चे लिखना तक भूल गए है। मोबाइल पर होमवर्क देने वाले टीचर अब बच्चों को मोबाइल से दूर रहने की सलाह दे रहे है। अभिभावकों की बात बच्चे सुनने को राजी नही है। ऐसे में बच्चों का मोबाइल प्रेम टीचरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
कोरोना संक्रमण काल में बच्चों के जीवन को सुरक्षित बचाने के लिए संपूर्ण भारतवर्ष के सभी स्कूल बंद कर दिए गए थे। बच्चे घरों में कैद होकर रह गए थे। बच्चे शिक्षा से दूर हो गए। सरकार ने कुछ महीने इंतजार करने के बाद बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए आन लाइन शिक्षा की व्यवस्था बनाने के निर्देश स्कूलों को दिए। जिसके बाद सभी स्कूलों ने आन लाइन शिक्षण सामग्री तैयार की और पढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी। व्हाटसएप के माध्यम से बच्चों को ​शिक्षा सामग्री भेजी जानी लगी। बच्चों की बाकायदा कक्षाएं संचालित की जाने लगी। अभिभावकों ने बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा दिया। जिसके बाद से बच्चों के हाथों में मोबाइल थाम लिया। बच्चे मोबाइल में एक्सपर्ट हो गए। गेम खेलने से लेकर यू टयूब पर वीडियों देखने में माहिर हो गए।
आखिरकार दो साल बाद 1 अप्रैल 2022 को स्कूल खुलने का वक्त आ गया। कोरोना संक्रमण से निजात मिली तो स्कूल के गेट बच्चों के लिए खोल दिए गए। बच्चों ने स्कूल बैग कंधे पर रख तो लिया लेकिन घर आकर मोबाइल पकड़ लिया। होमवर्क करने में बच्चों को दिक्कत आने लगी। स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि बच्चों के लिखने की रफ्तार बेहद कम हो गई है। छोटे बच्चे तो अक्षरज्ञान तक भूल चुके है। ऐसे में बच्चों के हाथों में मोबाइल एक मुसीबत बन चुका है। बच्चे मोबाइल छोड़ने को कतई तैयार नही है। फिलहाल आने वाले दिनों में बच्चों और शिक्षकों के बीच एक बड़ा चैलेंज देखने को मिलेगा।



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