भू-माफिया और अधिकारियों का गठजोड़ जनता को कर रहा परेशान




हरिद्वार। कनखल क्षेत्र में एक मुंह बोले भतीजे ने चाचा-चाची को विश्वास में लेकर बड़ा धोखा कर दिया। भतीजे ने चाची के नाम जमीन के एक हिस्से में से एक बीघा जमीन खरीदी और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते दो बीघा जमीन धोखे से रजिस्ट्री के साथ अपने नाम लिखवा ली। मामले का पता चलने पर चाचा-चाची परेशान हैं और वे कानूनी कार्यवाही करने की प्रक्रिया पर अमल कर रहे हैं।

बता दें कि कनखल क्षेत्र में दक्ष मंदिर के समीप एक महिला के नाम बड़ा भूखण्ड है। जिसमें से मुंह बोले भतीजे ने एक बीघा जमीन खरीदने की पेशकश की। जिस पर चाचा-चाची रजामंद हो गए। नियत दिन दोनों पक्ष रजिस्ट्री करवाने के लिए रजिस्ट्रार के दफ्तर पहुंच गए। जहां पहले से ही मुंह बोले भतीजे भू माफिया ने एक बीघा जमीन के साथ दो बीघा जमीन के दानखाते के कागजात तैयार किए हुए थे। इस मामले में रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की भी आशंका जतायी जा रही है।

यूं तो अमूमन पांच बजे से पहले ही कार्यालयों पर ताले लटक जाते हैं, किन्तु जिस दिन जमीन की रजिस्ट्री होनी थी उस दिन शाम सात बजे यह कार्य हुआ। बताते हैं कि जब तक रजिस्ट्री कार्यालय में अपनी पत्नी के साथ भूमाफिया का मुुंहबोला चाचा मौजूद रहा, उस समय तक रजिस्ट्री कार्यालय का सरवर डाऊन रहा। इसी बीच जैसे ही चाचा लघुशंका के लिए बाहर आया तत्काल सरवर भी चालू हो गया और इतनी ही देर में रजिस्ट्री के साथ दो बीघा जमीन धोखे से दान लिखवायी जमीन की लिखा-पढ़ी की प्रक्रिया भी पूरी हो गयी। रजिस्ट्री में एक करोड़ 11 लाख के चैक भी दिए गए, जिनकी लिखत भी रजिस्ट्री में अंकित करायी गयी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रजिस्ट्री कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों की भूमाफियाओं से कैसी सांठगांठ है।

कागजी प्रक्रिया पूरी होने के दो दिन बाद धोखाधड़ी का चाचा-चाची को पता चला। अब चाचा-चाची कानूनी प्रक्रिया अपनाने के संबंध में विचार कर रहे हैं। वहीं चाचा-चाची को अपनी जान का खतरा उत्पन्न हो गया है। कारण की भतीजे के बड़े अपराधियों से पारिवारिक रिश्ते हैं और उनके रिश्तों का वह समय-समय पर लाभ भी उठा चुका है। कानूनी प्रक्रिया शुरू करने के साथ अपनी जानमाल की सुरक्षा की गुहार पुलिस से लगाने के संबंध में चाचा-चाची तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि जिस जमीन का सौदा हुआ और जो दान खाते खिलवायी गयी, वह कभी एक संत की हुआ करती थी।



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