काजल राजपूत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी बिल को विधानसभा के सदन में रखने की तैयारी पूरी कर ली है। यूसीसी बिल में यूं तो कई खास बात है। लेकिन सबसे अहम खास यह है कि अब अवैध संबंधों से पैदा होने वाली संतानों को संपत्ति मे हक मिल सकेगा और समाज में सम्मान के जीने का अधिकार भी मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी ने यूसीसी बिल का ड्राफ्ट तैयार किया है। 740 पेज का ड्राफ्ट कमेटी की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सुपुर्द कर दिया गया है। विधानसभा सत्र पांच फरवरी को शुरू हो गया। लेकिन यूसीसी बिल सदन में पेश नही किया जा सका। आज छह फरवरी को विधानसभा सत्र के दौरान यूसीसी बिल सदन में पेश किए जाने की संभावना है। सदन के पटल में रखे जाने से पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की केबिनेट ने यूसीसी विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी।
यूं तो समान नागरिक संहिता के इस विधेयक में कई विशेषताए है। लेकिन सबसे खास बात लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की है। वही बेटी और बेटे को संपत्ति में बराबरी का हक दिलाने की निर्णय भी सुनिश्चित किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “समान नागरिक आचार संहिता” को उत्तराखंड में धार्मिक और सामाजिक नियमों और मानदंडों को स्थापित करने के उददेश्य से लागू करने के लिए तैयार कराया है। इस बिल की मंजूरी के बाद समाज या समुदाय के सदस्यों के बीच समानता, समरसता और सामाजिक समर्थन को बढ़ावा मिलेगा।
समान नागरिक आचार संहिता
समान अधिकार: सभी नागरिकों को बराबर अधिकार और विशेषाधिकारों का आनंद उठाने का अधिकार मिलेगा।
समरसता: सभी नागरिकों के सामने समरसता का स्वरूप, धर्म, लिंग, जाति, और वर्ण के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नही होगा।
न्याय: सामाजिक और नैतिक नियमों का पालन करते हुए सभी नागरिकों के लिए न्यायपूर्ण व्यवहार प्रतिबद्ध रहेगा।
सहयोग: समाज के सभी सदस्यों के बीच सहयोग और एकता को बढ़ावा मिलेगा।
सामाजिक सहयोग: आर्थिक और सामाजिक आराम सुनिश्चित करने के लिए समुदाय के सदस्यों के बीच सामाजिक सहयोग का प्रोत्साहन किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह दूरदर्शी सोच का परिचायक होगा। समान नागरिक संहिताएँ का मुख्य उद्देश्य समाजिक न्याय, समरसता, और सहयोग को प्रोत्साहित करना है।