उत्तराखंड 50 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा, नेता सो रहे गहरी नींद




नवीन चौहान
सत्ता की कुर्सी इतनी आरामदायक होती है कि जो इस पर बैठता है वो सो जाता हैं। चाहे वो नेता कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हो या भाजपा से। उत्तराखंड की बात करें यहां जिस भी पार्टी की सरकार बनीं वो सो गई। सत्ता की कुर्सी पर काबिज नेताओं ने उत्तराखंड के हित के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की। और तो और इन सत्ताधारी नेताओं ने उत्तराखंड में हुए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। जब जागरूक जनता इन नेताओं की कुर्सी हिलाई और जगाने का प्रयास किया तब भी इन्होंने भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने का साहस नहीं दिखाया। हां भ्रष्टचार की फाइलों को दबाने में नेताओं की नींद कई बार टूटी। कई बार कोर्ट ने इन नेताओं को झकझोंरा। फिलहाल उत्तराखंड की सरकार के सबसे ईमानदार नेता कहें जाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत गहरी नींद में सो रहे है। विपक्षी पार्टी भी उनको सुलाये रखने में पूरा सहयोग कर रही हैं। करें भी क्यूं नहीं आखिरकार उनको भी तो इस कुर्सी पर आकर सोना हैं।
यूपी से पृथक राज्य उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर साल 2000 को हुआ था। उत्तराखंड राज्य की स्थापना के बाद केंद्र सरकार ने भरपूर सहयोग किया और आर्थिक सहायता प्रदान की। राज्य को प्रगति पथ पर अग्रसर करने के लिए सत्ताधारी नेताओं को पहल करनी थी। लेकिन सत्ता की कुर्सी पर काबिज नेता तो अपनी जेब गरम करने में जुट गए। नेताओं ने राज्य में विकास की पटकथा तैयार करने के लिए भ्रष्टाचार की खुली छूट दी। बस फिर क्या था इन सत्ताधारी नेताओं, नौकरशाहों व प्रशासनिक अधिकारियों के गठजोड़ ने भ्रष्टाचार का वो इतिहास लिखा जिसने 18 सालों में प्रदेश को करीब 50 हजार करोड़ के कर्ज में डूबो दिया। कर्ज ऐसा जिसका ब्याज तक चुकाने में राज्य सक्षम नहीं हो पाया। आज राज्य की आर्थिक हालत ऐसी हो चुकी है कि सरकार के मुखिया को कोई घोषणा करने से पहले पचास बार आत्म मंथन करना पड़ता हैं। आखिरकार ऐसा क्या हुआ तो राज्य कर्ज में डूबता चला गया और नेताओं, नौकरशाह, सरकारी अधिकारों की पौ बारह हो गई। जी हां ये ही वो भ्रष्टाचार का बीज है जो इस राज्य में बोया गया। ये बीज इतना फला फूला कि नियम कानून ताक पर रखकर सबने अपनी ही जेब गरम की। क्या कांग्रेस और क्या भाजपा सभी पार्टियों के नेताओं ने अपने फायदे के अनुसार गेम बजाया। किसी भी पार्टी के नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ मुंह तक नहीं खोला। यही कारण है कि प्रदेश करीब 50 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा हुआ हैं और नेता गहरी नींद सो रहे हैं।



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