उत्तराखंड की खाकी में दम तभी तो सभी सुरक्षित है हम




गगन नामदेव
उत्तराखंड की खाकी में है दम तभी तो सभी सुरक्षित है हम। अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर जनता की सुरक्षा करने वाले खाकी के जवान भी विशेष है। जनता को दूर करने के लिए पुलिस खुद भीड़ में घुसते है। खुद अपनी जान के लिए मुसीबत मोल लेते है। ताकि जनता सुरक्षित रह सके। लेकिन यह बात जनता की समझ में नहीं आती। जनता ही पुलिस को कोसती है। पुलिस पर ही गुस्सा करने और अभद्र भाषा का प्रयोग करने के आरोप लगाकर हंगामा खड़ा करती है। पुलिस के अफसर भी शांति व्यवस्था को बहाल रखने के लिए अपने ही जवानों की गलती को स्वीकार करके घटनाक्रम का पटाक्षेप करते है। जी हां कोरोना संक्रमण की ताजा स्थिति बेहद खराब है। कोरोना का संक्रमण सिर चढ़कर बोल रहा है। प्रशासन और पुलिस जनता को जागरूक करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। लेकिन जनता है कि खुद ही मुसीबत को मोल लेने पर आमादा है। जनता सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में कोताही बरत रही है।
देश इन दिनों कोरोना संक्रमण की महामारी से जूझ रहा है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। ऐसे में जनता को एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाकर रखना ही एक मात्र विकल्प है। देश की जनता को अगर अपने व परिवार को कोरोना संक्रमण से बचाना है तो खुद और अपने परिवार की खातिर शारीरिक दूरी के नियम को अपने जीवन में चरितार्थ करना ही पड़ेगा। लेकिन इस छोटी और सामान्य सी बात को समझाने के लिए सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस जनता से जूझ रही है। सरकार की गाइड लाइन के अनुसार प्रशासन जनता पर सख्ती बरत रहा है और पुलिस चालान कर रही है। अब पुलिस और प्रशासन की तो मजबूरी समझ में आती है कि उनको अपने कर्तव्य का निर्वहन करना है। कर्तव्य को पूरा करने के लिए जनता के बीच जाना है और अपनी जान को जोखिम में डालकर भी जनता को ही जागरूक करना है। पुलिस प्रशासन को वीवीआईपी कार्यक्रमों का सफल आयोजन भी कराना है और जनता को संक्रमण से भी बचाना है। हरिद्वार की ही बात करें तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हरिद्वार हैलीपैड पर पुलिस व प्रशासन को वीवीआईपी की सुरक्षा करने की चुनौती मिली। तो वही दूसरी ओर जनता को शारीरिक दूरी के नियम का पालन कराने के लिए पुलिस को जनता की भीड़ में उतरना पड़ा। पुलिस को अपनी जिंदगी की परवाह नहीं रही। लेकिन जनता और वीवीआईपी की सुरक्षा की चिंता पुलिस व प्रशासन को सबसे पहले दिखाई दी। लेकिन जनता ये बात समझने को कतई तैयार नही है कि कोरोना संक्रमण अभी जिंदा है। अगर कोरोना जिंदा है तो हमको उससे बचकर रहना और दूरी बनाकर रखनी होगी।
पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी कहे या मजबूरी उनको तो अपनी जिंदगी खतरे में डालकर भी आपको सुरक्षित रखना है। ऐसे में आप भी जिम्मेदार नागरिक का फर्ज अदा करते हुए पुलिस और प्रशासन की भावनाओं का सम्मान करें। शारीरिक दूरी और मास्क के नियमों का पालन करें। पुलिस को चालान करने के लिए मजबूर ना करें।



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