UTTARAKHAND POLICE उत्तराखंड पुलिस के ठिठके कदम, वीडियो रिकार्डिंग से सेफ जोन

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काजल राजपूत
उत्तराखंड पुलिस अब संदिग्धों को दबोचने में अपने कदम पीछे खींच लेती है। अगर संदिग्ध को दबोचना ज्यादा ही जरूरी हुआ तो वीडियो रिकार्डिंग करके सेफ जोन में आकर खुद का बचाव करती है। पुलिस के रक्षात्मक रवैये के चलते रात्रि में छिटपुट चोरी की वारदात बढ़ गई है। पीड़ित भी इन मामलों में मुकदमा दर्ज नही कराते। लेकिन पीड़ित को अपने सामान का नुकसान का खामियाजा जरूर भुगतना पड़ता है। पुलिस के व्यवहार में ऐसा परिवर्तन तब आया जब संदिग्ध अपराधी कोर्ट में खूद को बेकसूर बताते पुलिस को ही झूठे आरोपों में फंसा देता है। कमोवेश पुलिस के यह हाल सभी थाना क्षेत्रों में है।
बताते चले कि कड़ाके की ठंड में रात्रि गश्त
करने वाली पुलिस मध्य रात्रि में कॉलोनियों में घूमने वाले लोगों से पूछताछ जरूर करती है। मध्य रात्रि में घूमने का कारण पूछती है। उनका नाम, पता जानने के बाद आधार कार्ड की जांच जरूर करती है। संतोषजनक जबाब नही मिलने पर उनको थाने या चौकी में ले आती है। जहां उनसे सख्ती से पूछताछ होती है। रात्रि में पुलिस के हत्थे चढ़ने वाले इन लोगों में कई संदिग्ध भी फंस जाते है। जो चोरी करने के इरादे से ही बाहर निकले होते है। चोरी की योजना बनाना और रात्रि में घूमना पुलिस की गिरफ्तारी का कोई पर्याप्त आधार नही होता। इसी बात का फायदा उठाते हुए संदिग्धों के परिजन पुलिस पर ही हवालात में जबरन रखने का आरोप लगाते हुए हंगामा करते है। अगर चोरी करने में कामयाब हो जाते तो पुलिस पर रात्रि गश्त नही करने के आरोप लगते है। चोरी की योजना बनाते हुए दबोच लिए जाते तो पुलिस पर जबरन हवालात में रखने और उत्पीड़न करने के आरोप लगते है। अधिकारियों की जबावदेही तय होती है। पुलिस दोनों ही मामलों में उलझकर रह जाती है। ऐसे में अगर संदिग्ध कोर्ट गया तो पुलिस को वहां भी अपने को बेकसूर साबित करने के लिए जूझना पड़ता है।
ऐसे में पुलिस ने खुद को बचाने के लिए मोबाइल के कैमरों का सहारा लिया। जहां जिस स्थान से पकड़ा, वही से रिकार्डिंग करते है। पूछताछ को पूरी तरह से कैमरे में कैद करते है। ताकि अपने अधिकारियों को संतुष्ट किया जा सके। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस का वक्त लगता है। साथ ही उनका मनोबल भी टूटता है। ऐसे में पुलिसकर्मियों के कदम संदिग्धों को दबोचने में ठिठकते है।
हाल में पुलिस के छह जवानों पर एक दुष्कर्म के आरोपी ने विजीलेंस कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया है। जिसने पुलिस पर मुकदमा दर्ज कराया है, जिसमें मारपीट से लेकर रेप तक के आरोप है। ऐसे में पुलिस पर मुकदमा दर्ज होना उनके मनोबल को तोड़ने से कम नही है। फिलहाल तो पुलिस अभी कैमरों की मदद से ही अपनी नौकरी को बचा रही है। लेकिन मनोबल को बचाए रखने में मजबूत दिखाई नही पड़ती।



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