नवीन चौहान.
नगर निगम देहरादून के अभिलेखों से पिछले 33 सालों में 13 हजार 741 पत्रावलियां गायब हो गई है। यह खुलासा राज्य सूचना आयोग द्वारा गायब पत्रावलियों के बारे में विवरण तैयार करने के निर्देश के बाद हुआ। हर साल रहस्यमयी तरीके से गायब हो रही पत्रावलियों को लेकर राज्य सूचना आयोग ने गंभीरता दिखायी है। उन्होंने शासन को इस संबंध में संदर्भित किया है। साथ ही आशंका जतायी है कि यह कार्य किसी गिरोहबंद या सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है।
नगर निगम के अभिलेखों से पत्रावलियों के गुम होने को गंभीरता से लेते हुए तकरीबन छह माह पूर्व नगर निगम के अभिलेखों से वर्ष 2022 तक गायब पत्रावलियों का विवरण तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए तो खुलासा हुआ कि बीते सालों में हजारों की संख्या में पत्रावलियां गायब हैं। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट के निर्देश पर नगर निगम द्वारा छह माह में तैयार की गयी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वर्ष 1989 से 2022 तक नगर निगम अभिलेखों से 13 हजार 743 पत्रावलियां गायब है।
दरअसल आयोग ने तरुण गुप्ता की एक अपील पर निर्देश दिए थे, जिसमें नगर निगम से संपत्ति नामांतरण संबंधी पत्रावली की मांग की गई थी। नगर निगम द्वारा यह पत्रावली उपलब्ध नहीं करायी गयी व अवगत कराया गया कि पत्रावली गुम है आयोग ने गंभीरता से लेते हुए एवं पत्रावली न मिलने की अन्य अपीलों का संज्ञान लेते हुए नगर निगम को अभिलेखों से गायब पत्रावलियों का विवरण तैयार करने के निर्देश दिए थे। प्रश्नगत प्रकरण में पूर्व में गायब पत्रावलियों की अंतरिम रिपोर्ट दिनांक 27.10. 2023 प्रस्तुत की गयी थी तथा आज दिनांक 31.01.2024 को सुनवाई के दौरान अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी।
राज्य सूचना आयुक्त ने इतनी बड़ी संख्या में पत्रावलियों के नगर निगम से गायब होने को गंभीरता से लेने की जरूरत बताते हुए संपूर्ण प्रकरण शासन को संदर्भित किया है। आयोग ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि इतनी बड़ी संख्या में पत्रावलियां गायब होने के लिए कोई जवाबदेह नहीं है। आयोग ने आशंका जताई है कि पत्रावलियां गायब होने के पीछे कोई बड़ा राज है जिसे गिरोहबंद अथवा सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। राज्य सूचना आयुक्त ने अपने निर्णय में मुख्य नगर आयुक्त देहरादून को गायब पत्रावलियों की स्थिति अद्यतन करते हुए नगर निगम मे अभिलेखों के रखरखाव एवं संरक्षण की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।