संसार के सारे ज्ञान-विज्ञान समाहित हैं वेदों में : डॉ. महावीर




नवीन चौहान
हरिद्वार। योग सप्ताह कार्यक्रम के संयोजक एवं पतंजलि वैदिक गुरुकुलम् के व्यवस्थापक स्वामी परमार्थ देव जी ने वक्ताओं के भावभरे स्वागत, अभिनंदन व परिचय के साथ अपने ओजस्वी संदेश से तृतीय दिवस की शुरुवात की।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति, वैदिक विद्वान् प्रो. महावीर अग्रवाल जी ने अपने उद्बोधन से लाईव सत्र में जुड़े प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन व मार्गदर्शन किया। वेदों के संदेश केे माध्यम से ‘वैदिक वांगमय में रोग-प्रबंधन के उपाय’ विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि संसार का सारा ज्ञान-विज्ञान वेदों में समाहित है। उन्होंने ब्रह्ममुहूर्त में जागरण, अष्टांग योग के नियमित अभ्यास एवं अन्य उपयोगी विषयों पर प्रकाश डाला।
द्वितीय सत्र में पतंजलि विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अभिषेक भारद्वाज ने सर्वप्रथम देश के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। तदोपरांत उन्होंने स्वस्थ व सकारात्मक विचार की दैनिक जीवन में उपयोगिता बताते हुए इसे तनाव प्रबंधन, प्रसन्नता स्तर अभिवर्धन, जीवन गुणवत्ता बढ़ाने व मन की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में उपयोगी बताया। अपने व्याख्यान में उन्होंने स्वाध्याय तथा आत्मनिरीक्षण को नियमित रूप से जीवन में शामिल करने पर बल दिया।
तृतीय सत्र को सम्बोधित करते हुए पतंजलि आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान के सहायक प्राध्यापक डॉ. राजेश मिश्रा ने आयुर्वेद के माध्यम से ऑटोइम्यून विकारों के प्रबंधन पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने आयुर्वेद के क्षेत्र में श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी द्वारा किए गए विराट् अनुसंधान कार्यों का संक्षिप्त परिचय दिया एवं स्वस्थ जीवनशैली, पथ्य-अपथ्य एवं विभिन्न औषधियों के अनुप्रयोग की भी विवेचना की।
चतुर्थ सत्र में भक्तियोग की संकल्पना पर चर्चा करते हुए योग विज्ञान विभाग के संयोजक डॉ. संजय सिंह ने गीता व अन्य ग्रन्थों के परिप्रेक्ष्य में भक्त के प्रकार, भक्त की महिमा आदि महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी जानकारी साझा की। उन्होंने ज्ञानपूर्वक भक्ति को भावनात्मक स्थिरता के लिए उपयोगी बताया।
इस अवसर पर बी.ए. एवं बी.एस.सी. तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों सहित वैदिक गुरुकुलम् के ब्रह्मचारी व संन्यासी भाई-बहनों ने योगाभ्यास व अन्य मनमोहक कार्यक्रमों की लाईव प्रस्तुति के वीडियो भी साझा किए।



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