नवीन चौहान.
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि बादशाहीथौल टिहरी गढ़वाल में स्वीकृत दो सहायक परीक्षा नियंत्रक के पदों के सापेक्ष 4 साल पहले हुई नियुक्तियों को लेकर जांच बैठा दी गई है। बताया जा रहा है कि नियुक्ति में तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहा है।
आरोप है कि पूर्व सहायक नियंत्रकों द्वारा जमा कराये गए दस्तावेजों की सत्यता और वैधता कभी जांच जरूरी है, इसलिए विवि ने सेवानिवृत न्यायमूर्ति केडी शाही की अध्यक्षता में एक 6 सदस्यीय समिति का गठन पूरे प्रकरण की जांच के लिए किया है।
यदि जांच समिति की रिपोर्ट में आरोप सही पाये जाते हैं और आरोपी दोषी पाए जाते हैं तो विश्वविद्यालय नियमानुसार तत्कालीन अधिकारियों एवं नियुक्त सहायक परीक्षा नियंत्रकों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करेगा।
बतादें चार साल पूर्व डा. हेमंत बिष्ट और वीर लाल की नियुक्ति सहायक परीक्षा नियंत्रक के पद पर हुई थी। नियुक्ति के बाद कई अभ्यर्थियों ने नियुक्ति प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाये थे। इस संबंध में शासन और राजभवन को शिकायत भी प्रेषित की गई थी।
लेकिन न तो इस संबंध में शासन से कोई जांच करायी गई और न ही विश्वविद्यालय द्वारा इस प्रकरण को गंभीरता से लिया गया।