नवीन चौहान
उत्तराखंड की सत्ता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा मिशन 2022 में इस फार्मूले पर काम करेंगी। विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे बड़े चेहरे के रूप में युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी होंगे जबकि उपलब्धियों के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चार साल के तमाम जनहित के कार्यो को जनता को गिनाया जायेगा। जबकि वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही मांगे जायेंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक गृह मंत्री अमित शाह के चुनावी प्रबंधन को मूर्त रूप प्रदान करेंगे। हालांकि चुनाव से कुछ वक्त पूर्व भाजपा को अपने ही विधायकों के कई नखरे और झटके भी देखने को मिलेंगे। कुछ भाजपा विधायक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में होंगे तो कुछ कांग्रेसी कमल के फूल उठाकर घूमते दिखेंगे।
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पूर्व की रौनक दिखाई देने लगी है। आदर्श आचार संहिता लगने से पूर्व भाजपा पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देशन और संघ परिवार की सक्रियता ने उत्तराखंड में सियासत को गरमा दिया है। भाजपा के वर्तमान युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव के मददेनजर ही लुभावी घोषणओं को करने में जुटे है। बेरोजगारों युवाओं के लिए करीब 24 हजार नौकरी का पिटारा खोल दिया है। सभी जाति धर्म और वर्ग को आकर्षित करने के लिए उत्तराखंड के आर्थिक संतुलन को दरकिनार कर घोषणाएं की जा रही है।
लेकिन हम बात करते है चुनाव प्रचार के दौरान जनता के सबसे अहम सवाल की। सवाल यह है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया और 57 विधायकों को जीत दिलाई तो उत्तराखंड में तीन—तीन मुख्यमंत्री बदलने का कीर्तिमान क्यो बना। जबकि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज डोईवाला विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत का कार्यकाल बेदाग और भ्रष्टाचार मुक्त रहा। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के सम्मान को बरकरार रखा और जीरो टॉलरेंस की मुहिम और पारदर्शी सरकार चलाने का संकल्प लेकर आगे बढ़े। जनहित के कार्यो को प्राथमिकता दी। उत्तराखंड में टांसफर पोस्टिंग की दलाली प्रथा को बंद कराया। भाजपा के ही विधायकों के गलत कार्यो को मंजूरी नही दी। बजट के अनुरूप जनहित की घोषणाएं को मंजूरी दी और कोविड काल में जनता के जीवन की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। त्रिवेंद्र सिंह रावत की ईमानदारी पर चलने की मुहिम मुख्यमंत्री की कुर्सी से विदाई की सबसे बड़ी वजह बनी। पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया तो वह अपने अजीबो गरीब बयानों के चलते सुर्खियों में रहे। हालांकि उनके चार माह के कार्यकाल में कोई उपलब्धि तो नही है। अलवत्ता कुछ विवादित बयान जरूर रिकार्ड में शामिल है। भाजपा हाईकमान ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तीसरे प्रयोग के रूप में खटीमा विधानसभा के युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को चुना। पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जोशीले अंदाज से आगाज किया और साम दाम दंड भेद की नीति पर चलते हुए अपने राजनैतिक कौशल का परिचय दिया। इस कार्यकाल में भ्रष्टाचार और जीरो टालरेंस की बातें गायब है और चुनावी लोकलुभावन घोषणाओं की झड़ी है। इन घोषणाओं का चुनाव में कितना प्रभाव होगा यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल तो चुनाव 2022 में भाजपा के फार्मूले की बात करते है।
अभी तक भाजपा के हालात और जनता के मिजाज की बात करें तो चुनाव बेहद ही रोमांचक होने के आसार है। भाजपा इस चुनाव को मोदी के नाम पर ही लड़ेगी। लेकिन सबसे बड़ी बात और अहम बात यह रहेगी कि भाजपा हाईकमान ने अपने जिस मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उनकी ईमानदारी से कार्य करने के चलते भाजपा विधायकों की नाराजगी के कारण हटाया, चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा उनके ही कार्यकाल की उपलब्धियों के तौर पर जनता के सामने होगी। ऐसे में चेहरा पुष्कर, काम त्रिवेंद्र और वोट मोदी के नाम का फार्मूला ही भाजपा प्रयोग में लायेगी।