नौकरी देकर रिटारमेंट करना भूल गया बीएसएनएल, दिया रिकवरी नोटिस




नवीन चौहान, हरिद्वार। बीएसएनएल विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक मामला उनके गले की फांस बन गया है। अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक कर्मचारी लाइनमैन के पद पर रिटायमेंट की तारीख पूरी होने के बाद भी दो सालों तक नौकरी करता रहा। जब प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ तो आनन-फानन में उसके हाथ में रिटारमेंट का पत्र थमाकर विदाई कर दी गई। फिलहाल उक्त कर्मचारी पूरे मामले में विधिक राय ले रहा है। रिटायर्ड कर्मचारी का तर्क है कि उसने तो विभाग को अपनी पूरी सेवायें दी हैं। जिसका उसको वेतन मिला हैं। इसमें उसकी कोई गलती नहीं है। जबकि बीएसएनएल के महाप्रबंधक अखिलेश कुमार गुप्ता ने इस पूरे प्रकरण की विभागीय जांच कराने की संस्तुति की है। उनका कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहना संभव होगा। फिलहाल कर्मचारी को रिटायर कर दिया गया है।

 

दूरसंचार विभाग हरिद्वार में मदन पाल सिंह बतौर लाइनमैन के पद पर कार्य कर रहे थे। कई सालों तक बीएसएनएल में कार्य करने के बाद एकाएक 28 सितंबर 2018 की शाम को मदन पाल सिंह को रिटायरमेंट का पत्र थमा दिया गया। मदन भौच्चका रह गया। उसका आईकार्ड भी 31 सितंबर 2018 तक का जारी किया गया था। जब इस पूरे मामले में मदन ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि उसका रिटायरमेंट तो 31 अक्टूबर 2016 को ही हो जाना चाहिये था। ये प्रकरण विभाग में चर्चा का विषय बन गया। इस पूरे प्रकरण पर जब बीएसएनएल के प्रशासनिक विभाग के अधिकारियों से जानकारी जुटाई तो वो पल्ला झाड़ते नजर आये।

 

प्रशासन के उप मंडल अभियंता राकेश सिंह ने एकाउंट विभाग की ओर गेंद सरका दी। जब एकाउंट सेक्शन से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि वह तो वेतन का लेखाजोखा रखते हैं। आखिरकार बीएसएनएल के प्रधान महाप्रबंधक एके गुप्ता से पूरे प्रकरण की जानकारी की गई। अखिलेश कुमार गुप्ता ने मामले में सफाई देते हुये बताया कि चूक कहां हुई इसलिये विभागीय जांच कराई जा रही है। परिमंडल कार्यालय को सूचना दे दी गई है।

 

13 लाख लाटाने को अधिकारी बना रहे दबाव
रिटायरमेंट का पत्र पकड़ाने के बाद मदन अब अधिकारियों के फोन से परेशान हो चुका है। अधिकारी फोन कर मदन को 13 लाख की रिकवरी लौटाने के लिउ दबाव बना रहे हैं। जबकि मदन के अनुसर उसके खाते में कुछ तीन सौ रुपये हैं। उनका कहना है कि जब उसने काम किया है तो काम का उसको वेतन मिला है। वह रकम क्यों लौटाए।
ऑडिट विभाग की लापरवाही
मदन का कहना है कि विभाग का प्रतिवर्ष ऑडिट किया जाता है। इतनी बड़ी बात ऑडिग विभाग की पकड़ में क्यों नहीं आई। इस प्रकरण में ऑडिट विभाग की लापरवाही भी प्रतीत होती है।



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