PM MAN KI BAAT: चरैवेति-चरैवेति कहकर PM नरेंद्र मोदी ने की DAV देहरादून के बच्चों के मन की बात




नवीन चौहान.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 100वें एपिसोड में डीएवी देहरादून
के बच्चों के मन की बात की। उन्होंने कार्यक्रम का समापन चरैवेति-चरैवेति से किया। चरैवेति का अर्थ होता है आगे बढ़ते चलो। भारत को एक सूत्र में पिरोने और आगे बढ़ने के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री ने सभी का दिल जीत लिया।

बतादें महात्मा हंसराज के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में हरिद्वार के जगजीतपुर में स्थित डीएवी सेंटनेरी पब्लिक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम “समर्पण” में डीएवी डिफेंस कालोनी देहरादून के बच्चों ने चरै​वेति-चरैवेति थीम पर अपनी शानदार प्रस्तुति देकर सभी का दिल जीत लिया था। आज जब पीएम के मन की बात कार्यक्रम में डीएवी के बच्चों ने उन्हीं शब्दों को सुना तो उनमें उत्साह का नया संचार देखने को मिला।

डीएवी पब्लिक स्कूल, डिफेंस कॉलोनी,देहरादून के छात्र-छात्राओं व शिक्षक-शिक्षिकाओं ने विद्यालय में उपस्थित होकर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम मन की बात के 100 एपिसोड पूर्ण होने के अवसर पर इस कार्यक्रम को बहुत उत्साह व ध्यानपूर्वक सुना। जो विद्यार्थी विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सके उन्होंने घर पर रहकर ही इस कार्यक्रम को सुना। विद्यालय के सभी छात्र- छात्राओं के अभिभावकों से भी अनुरोध किया गया कि आप इस कार्यक्रम को देखें उनके लिए एक लिंक भी भेजा गया था ताकि वे भी इस कार्यक्रम से जुड़ सकें।

भारी मात्रा में अभिभावक इस कार्यक्रम को देखने व सुनने में में सफल हुए। प्रधानमंत्री जी ने मन की बात कार्यक्रम के प्रेरणा स्रोत लक्ष्मण राव जी ईनामदार को बताते हुए कहा कि वही मेरे मार्गदर्शक हैं। मन की बात कार्यक्रम उनके लिए एक आध्यात्मिक यात्रा की तरह है आज यह कार्यक्रम सभी भारतीयों की प्रतिभागिता का त्यौहार बन गया है।

इस कार्यक्रम की शुरुआत 3 अक्टूबर, 2014 से हुई। इस कार्यक्रम से जुड़कर आज न जाने कितने भारतीयों को उनके काम की पहचान मिली है और वे लाभान्वित हुए हैं। इस कार्यक्रम में मेक इन इंडिया से लेकर स्पेस स्टार्टअप तक की चर्चा हुई है।

कार्यक्रम का अंत प्रधानमंत्री जी ने चरैवेति- चरैवेति अर्थात चलते रहो, चलते रहो के वाक्य के साथ किया। डीएवी मैनेजमेंट के द्वारा महात्मा हंसराज दिवस के अवसर पर हरिद्वार में आयोजित समर्पण दिवस के अवसर पर डीएवी देहरादून के विद्यार्थियों द्वारा चरैवेति-चरैवेति की प्रस्तुति की गई थी। डीएवी संस्था का भी यही मूल उद्देश रहा है चरैवेति-चरैवेति अर्थात चलते रहो, चलते रहो।



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