चिया ने आयोजित किया पुश्किन फर्त्याल मैमोरियल स्मृति व्याख्यान, अध्यक्ष डा. ध्यानी ने दिया प्रथम स्मृति व्याख्यान




नवीन चौहान.
नैनीताल। चिया द्वारा प्रथम पुश्किन फर्त्याल स्मृति व्याख्यान का आयोजन चिया के वार्षिक आम बैठक के अवसर पर किया गया. व्याख्यान के मुख्य वक्ता चिया के अध्यक्ष पी.पी. ध्यानी द्वारा ‘‘पुश्किन फर्त्याल- एक परिचय’’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया. उनके द्वारा फर्त्याल के जीवन के विभिन्न पहलुओं, अध्ययन, संघर्षों एवं चिया सहित हिमालयी क्षेत्र में उनके योगदान पर प्रकाश डाला गया साथ ही बताया कि उनके रहते चिया ने उच्चतम शिखर को प्राप्त किया था.

डा. ध्यानी ने बताया कि पुश्किन ने अपने छात्र जीवन से ही पहाड़ों के विषय तथा संघर्षों पर कार्य करना आरम्भ कर दिया था. चिया में रहते हुए उन्होंने हिमालय के पर्यावरण, आजीविका, जनजाति समाज, वन पंचायत सुदृढ़ीकरण, विभिन्न विषयों पर जनजागरूता अभियान, प्रशिक्षण तथा अन्य विषयों पर गम्भीरता से कार्य किया. उन्होनें परियोजना के माध्यम उत्तराखण्ड के जन जातियों के विकास एवं उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए प्रतिबद्ध थे. उनके समय में कनालीछीना की जनजाति समाज के कुछ प्रतिभागियों द्वारा प्रथम बार प्रशिक्षण हेतु क्षत्रे से बाहर जाकर रेल यात्रा भी की गयी थी.

चिया के अधिशासी निदेशक के पद पर रहते हुए पुश्किन ने 15 वर्षों के अधिक के वर्षों के लिए हिमालय के सत्त विकास को बढा़वा देने के प्रयासें का नेतृत्व किया. ग्रामीण, पहाड़ी गरीबी, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के बारे में, उन्होंने दूरस्थ हिमालयी क्षेत्रों में एक अर्थव्यवस्था बनाने का प्रयास किया. जलवायु परिवर्तन अनुकूलन रणनीतियों को बढ़ाने पर विकास योजना और अध्ययन में एकीकृत अनुकूलता पर प्रशिक्षण आयोजित किये. उन्होंने सीमांत पर्वतीय समुदायों को बाजार अर्थवस्था से जोड़ने का प्रयास किया. सीमित संसाधनों के संरक्षण ओर वन संरक्षण एवं संवर्धन प्रबन्धन में सुधार के लिए पर्वतीय समुदायों का प्रोत्साहित किया. 12 पर्वतीय राज्यों और भारत में पर्वतीय समुदायों को लाभ पहुंचाने वाली नीतियों के बीच बेहतर समन्वय के लि आई.एम.आई. को प्रारम्भ करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।

इस मौके पर बोलते हुए डा. ध्यानी ने बताया कि पुश्किन द्वारा विभिन्न संस्थाओं से प्रशिक्षण लेने एवं देने हेतु देश- विदशे की यात्राएं की, जिनके माध्यम से तकनीकी हस्तान्तरण, विभिन्न परियोजनाओं के संचालन में ज्ञान आर्जित करने, वित्तीय सहयोग प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका चिया ने अदा की थी। उन्होंने बताया कि यदि पुश्किन ने अपने छोटे से कार्यकाल में बहुत उपलब्ध्यिां अर्जित की जो कि फलस्वरूप उन्हें कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पुरूस्कारों से सम्मानित किया गया. भारत और विश्व स्तर पर ज्ञान और अनुभव के अपने उदार साझीकरण के लिए पुश्किन को आज भी उनके सहयोगियों द्वारा याद किया जाता है।

डा. ध्यानी ने यह भी बताया कि भविष्य में चिया द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली वार्षिक आम बैठक में पुश्किन फर्त्याल स्मृति व्याख्यान का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जायेगा। जिसमें हिमालय के विभिन्न मुद्दों पर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, समाजसेवियों द्वारा व्याख्यान दिये जायेंगे। कार्यक्रम में अध्यक्षता डा. पी.पी. ध्यानी द्वारा की गयी एवं कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु प्रो. उमा मेल्कानी द्वारा धन्यवाद दिया.

उक्त व्याख्यान में चिया काउंसिल के अध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव व सदस्य प्रो. एस.पी.सिहं, डा. एस.पी.सतीजे, एन.यू. के प्रो. सतीश गरकोटी, एन.डी.टी.वी. के वरिष्ठ पत्रकार सुशील बहुगुणा, सुधीर बिष्ट एवं मुकुन्द कुमैयया, आजीवन सदस्य अकक्षोभ सिंह, डा. आशीष तिवारी, डा. ललित तिवारी, प्रो. डी.एस.कार्की, प्रताप नगरकोटी, चिया के कुन्दन बिष्ट दीपा उपाध्याय, धीरज जोशी आदि सदस्य उपस्थित रहे।



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