हिस्ट्रीशीटर सत्तार और हेड़ कांस्टेबल विकास बलूनी के बीच कनेक्शन, कहीं साजिश का शिकार तो नहीं हुआ विकास




नवीन चौहान
मादक पदार्थो के तस्कर व हिस्ट्रीशीटर सत्तार और हेड़ कांस्टेबल विकास बलूनी के बीच मोबाइल फोन की सीडीआर के आधार पर आपस में संबंध बताए गए हैं। इसी सीडीआर के आधार पर प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए विकास बलूनी को पहले लाइन हाजिर और अब निलंबित किया गया है। लेकिन न्यूज 127 ने जब इस संबंध में आरोपी विकास बलूनी से बात की तो उसने कुछ और ही बात कही और अपने आपको निर्दोष बताते हुए साजिश का शिकार बताया।

हेड कांस्टेबल विकास बलूनी का कहना है कि उसकी सत्तार से बातचीत मादक पदार्थो के तस्करों की जानकारी जुटाने तक सीमित थी। सत्तार से जानकारी जुटाने के बाद वह सभी सूचनाएं उच्चाधिकारियों को देता था। पुलिस की टीम छापेमारी करती थी और तस्करों को जेल भेजती थी। उसका कहना है कि वह खाकी के प्रति वफादारी से कार्य कर रहा था। लेकिन यही वफादारी अब उसके लिए मुसीबत का सबब बन गई है। सत्तार से संबंध रखने के आरोप में उसे निलंबित किया गया है। इस मामले में अब कई नए रहस्यों से परदा उठने की संभावनाएं भी पैदा हो गई है। हेड़ कांस्टेबल प्रोन्नत विकास बलूनी रणवीर एनकाउंटर केस का हिस्सा था।

विकास ऐसे आया संपर्क में सत्तार के
ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र के मौहल्ला कस्साबान निवासी हिस्ट्रीशीटर सत्तार पर करीब तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज है। क्षेत्र में पूरी चौधराहट है। छुटभैया मादक पदार्थो के तस्कर सत्तार से खौफ खाते है। जानकारी के अनुसार आरोपी सत्तार ने एसएसपी के सुरक्षाकर्मी हेड़ कांस्टेबल विकास बलूनी को अपना मोबाइल नंबर साल 2017 में दिया था। सत्तार ने तब उससे कहा था कि वह पुलिस का मुखबिर बनकर सूचनाएं देगा, ताकि तस्करों को पकड़ा जा सके।​​ विकास बलूनी का कहना है कि तभी से उसकी हिस्ट्रीशीटर ​सत्तार के साथ बातचीत हुई। विकास बलूनी का कहना है कि उसने कभी सत्तार से मुलाकात नहीं की और ना ही कभी उससे व्यक्तिगत रूप से मिला। सत्तार से फोन पर मिलने वाली जानकारी को​ विकास बलूनी अधिकारियों को देने का कार्य करता था। लेकिन चूंकि 23 अप्रैल 2021 को हेड़ कांस्टेबल विकास बलूनी को सत्तार से बातचीत करने के आरोप में गाज गिरी तो इस केस की निष्पक्ष पड़ताल होना बहुत जरूरी है।

एसटीएफ के प्रेस नोट के मुता​बिक उस दिन क्या हुआ
बताते चले कि बीते दिनों एसटीएफ देहरादून की टीम ने ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र में हिस्ट्रीशीटर सत्तार के ठिकानों पर दबिश दी। एसटीएफ की टीम ने सत्तार को दबोच लिया और उसके ही एक करीबी राहिल पुत्र मुस्तफा निवासी कस्सावान से 189 ग्राम स्मैक बरामद की गई। जिसकी कीमत करीब आठ लाख बताई गई। आरोपी राहिल से पूछताछ में पता चला कि वह सत्तार पुत्र असगर के साथ मिलकर मादक पदार्थो की खरीद फरोख्त करता है।

राहिल से पूछताछ के हवाले से ये बात आयी सामने
राहिल से पूछताछ में खुलासा हुआ कि कुछ पुलिसकर्मी सत्तार की मदद करते है। पुलिसकर्मी फोन अथवा व्यक्तिगत तौर पर पुलिस की छापेमारी की जानकारी दे देते है। जिससे गैंग के लोग माल को छिपा देने में कामयाब हो जाते थे। पुलिस के मुताबिक अभियुक्त राहिल से की गई पूछ-ताछ से यह भी ज्ञात हुआ कि, सत्तार को इस धन्धें में मदद करने के लिए कुछ पुलिस कर्मी फोन अथवा व्यक्तिगत रूप से पुलिस की गोपनीय जानकारी और रेड के सम्बन्ध में बता देते थे जिससे गैंग के लोग माल छुपा देते थे। अभियुक्त राहिल ने पूछ-ताछ के दौरान यह भी बताया कि हरिद्वार के थाना पथरी क्षेत्र में रहने वाले इरफान नाम के व्यक्ति से उसने 15 किलो स्मैक के लिए बात की थी, जिसका पैसा सत्तार द्वारा दिया जाना था और इस माल को छोटी-छोटी मात्रा में ज्वालापुर-हरिद्वार के विभिन्न क्षेत्रों में लड़कों के माध्यम से बेचा जाना था। टीम द्वारा की गई विस्तृत पूछ-ताछ के आधार पर एवं तकनीकी सर्विलांस से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर एसटीएफ द्वारा अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु दबिश दी गई।

सत्तार चला रहा था संगठित गैंग
एसटीएफ के मुताबिक गैग का सरगना सत्तार पुत्र असगर संगठित रूप से गैग का संचालन कर रहा था। एसटीएफ द्वारा कार्यवाही करते हुए दिनांक 16- अप्रैल 2021 को उसे थाना बहादराबाद से गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान अभियुक्त सत्तार ने उपरोक्त सभी बातों को स्वीकार किया।
साथ ही इस गैग में गंगेश पत्नी स्व मोहन लाल यादव निवासी कस्साबान नाम की एक महिला जो पूर्व में उत्तरकाशी के नारकोटिक्स के एक अभियोग में 10 साल की सजायाफ्ता है उसे भी संलिप्त होना बताया। जिसके द्वारा पुलिस कार्यवाही के सम्बन्ध में गैग को गोपनीय सूचना दी जाती है। यह भी पता चला कि जनपद पुलिस की किसी भी कार्यवाही के लिए हरिद्वार के थाना ज्वालापुर पर नियुक्त कांस्टेबल अमजद के द्वारा थाने की रेड टीम के सम्बन्ध में समय-समय पर सूचना दी जाती थी, जिसमें माल व इस कार्य में लगे लोगों को बचने के लिए बता दिया जाता था। इसके अतिरिक्त हरिद्वार एडीटीएफ में नियुक्त कान्सटेबिल रईसराजा एडीटीएफ टास्क फोर्स की किसी भी जानकारी की सूचना समय-समय पर देता रहता था, तथा विगत माह से अवैध मादक पदार्थो की तस्करों के विरूद्व की जा रही कार्यवाही के सम्बन्ध में सूचना व टीम मेम्बरों के नाम पूर्व से ही बता देता था। जिससे इस अवैध धन्धे में संलिप्त लोग पकड़े न जा सके।

माफिया का गठजोड़ खोलने की कवायद
एसटीएफ की इस छापेमारी की कार्रवाई के बाद पुलिस और माफियाओं के गठजोड़ को खोलने की कवायद तेज हो गई। एसटीएफ अब ऐसे पुलिस कर्मियों को चिन्हित करने में जुटी है जिनके माफियों के साथ संबंध सामने आ रहे हैं। लेकिन ऐसे में उन पुलिस कर्मियों के ​लिए मुसीबत पैदा हो गई है जो मुखबिरों से संबंध में रखते हैं, ऐसे में मुखबिरों से संपर्क रखने वाले पुलिसकर्मियों को इंसाफ मिले यह भी जरूरी है। इसके लिए निष्पक्ष जांच होनी बेहद जरूरी है, ताकि खाकी का इकबाल कायम रहे।



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