नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण के चलते हरिद्वार के हालात दिन—प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे है। जनपद में अभी तक पॉजीटिव मरीजों की संख्या 4648 पर पहुंच गई है। जबकि 443 कंटेनमेंट जोन है। हरिद्वार में 65302 व्यक्ति के कोरोना टेस्ट हो चुके है। जिसमें से 61347 व्यक्तियों की रिपोर्ट मिल चुकी है। 56902 मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव है जबकि 4648 व्यक्तियों की रिपोर्ट पॉजीटिव मिल चुकी है। 2435 मरीजों की रिपोर्ट आनी बाकी है। जनपद के विभिन्न कोविड केयर सेंटरों में 425 मरीज भर्ती है। मरीजों के संबंध में ये आंकड़े मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की ओर से जारी किए गए है। अगर इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो हरिद्वार की स्थिति बेहद भयावय होती दिखाई पड़ रही है। यानि आने वाले दिनों में मरीजों की संख्या में बेहताशा वृद्धि होने की संभावना है। इन कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल करने के लिए जिला प्रशासन को तमाम चुनौतियों से पार पाना होगा।
कोरोना संक्रमण काल के लॉक डाउन अवधि में हरिद्वार की स्थिति बेहतर थी। जिलाधिकारी सी रविशंकर की सजगता और कर्तव्यनिष्ठा के चलते हरिद्वार के हालात बेहद दुरस्त थे। जिला प्रशासन की टीम मुस्तैदी से कार्य कर रही थी। संक्रमित मरीजों की संख्या सामान्य थी। जिला प्रशासन और पुलिस जनता को कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जागरूक कर रहा था। संक्रमण को फैलने से रोकने की पूरी कवायद की जा रही थी। लेकिन केंद्र सरकार के लॉक डाउन में छूट मिलते ही जनता अपने जीवन के प्रति लापरवाह हो गई। जनता ने सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए खूग गलबहियां की। एक बाइक पर दो—दो लोग सवार होकर निकले। बाजारों में खूब चहल कदमी की। दुकानों पर सामान खरीदते वक्त सामाजिक दूरी के फार्मूले को दरकिनार कर दिया। हद तो तब हो गई जब लोग अपनी फैमिली को सैर सपाटा तक करने निकल पड़े। जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाबजूद जनता ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही किय। जिसका नतीजा ये रहा कि हरिद्वार के हालात बेकाबू होने लगे। वर्तमान स्थिति विकट होती जा रही है। जिलाधिकारी सी रविशंकर हरिद्वार के हालात को काबू करने के लिए जनता को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की भावनात्मक अपील कर रहे है। उनका कहना है कि अपने जीवन को सुरक्षित बचाकर रखने की जिम्मेदारी स्वयं की है। प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। लेकिन संक्रमण से खुद को बचाकर रखेंगे तो इंसान को तकलीफों का सामना नही करना होगा।
चिकित्सकों से दूरी
कोरोना संक्रमण में आईसोलेट होने के डर से पीड़ित मरीज कोरोना संक्रमण के टेस्ट कराने नही जा रहे है। पुष्ट सूत्रों से जानकारी मिली है कि मरीज खुद ही एम्यूनिटी पावर को बढ़ाने के लिए काढ़े का उपयोग कर रहे है।