अमीर को कोरोना और गरीब को भूख का रोना




नवीन चौहान
अमीर को कोरोना और गरीब को भूख का रोना हो रहा है। जी हां गरीब आदमी को कोरोना संक्रमण से ज्यादा पेट की आग बुझाने की चिंता सता रही है। गरीब आदमी रोटी, रोजगार के चलते सामान्य बुखार में मजदूरी करने निकल रहे है। जबकि अमीरों की हालत ये है कि सिर दर्द की तकलीफ में गले में खराश आई तो थूक निगलने में दिक्कत होने लगती है और बदन में दर्द के लक्षण दिखाई देने लगते है। जब टेस्ट कराकर आते है तो कोरोना पॉजीटिव की रिपोर्ट साथ लेकर आते है। ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना संक्रमण गरीब आदमी से कोसो दूर क्यो है। या फिर गरीब आदमी पेट की आग के चलते टेस्ट कराने नही जा रहे है। इस बात को लेकर सोशल ​मीडिया पर लोग सवाल उठाने लगे है। वैसे इन दिनों बुखार का सीजन भी चल रहा है। डेंगू का भी प्रकोप है। लेकिन लोगों के दिमाग में तो सिर्फ कोरोना संक्रमण का खौफ ही घूम रहा है।
भारत में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पूरे देश में कोरोना का खौफ बुरी तरह से व्याप्त है। उत्तराखंड की बात करें तो यहां भी कोरोना संक्रमण पूरी तरह से प्रभावी है। हरिद्वार जनपद में कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मरीज है। लेकिन अगर बात करें तो कोरोना संक्रमण से मरने वालों की तो चिंता की कोई बात नही है। अधिकतम संक्रमित मरीज स्वस्थ होकर अपने कार्यो में जुट गए है। लेकिन इन सबके बीच कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ों में कोई कमी नही आई है। संक्रमण की चपेट में आने वाले अधिकतम मध्यमवर्गीय या उनसे ऊपर के परिवारों के लोग है। अगर झुग्गी झोपड़ी में निवास करने वाले या मजदूरी करने वाले गरीब वर्ग के लोगों की बात करें तो उनको कोरोना संक्रमण का कोई खौफ नही है। बेखौफ होकर मेहनत मजदूरी कर रहे है। सिर पर ईट ढो रहे है। सरकारी निर्माण कार्यो में मन लगाकर कार्य कर रहे है। हरिद्वार के हाईवे पर निर्माण कार्य करते गरीब लोग कोरोना से बेखौफ दिखाई देंगे। इन सभी लोगों को कोरोना से ज्यादा अपने परिवार का पेट पालने की चिंता है। तो फिर कुछ मिलाकर हो क्या रहा है। कोरोना संक्रमण का वायरस भी गरीब और अमीरों में भेदभाव कर रहा है। अमीरों की परीक्षा ले रहा है। या फिर गरीबों को खुली हवा में सांस लेने की आजादी दे रहा है।



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