नवीन चौहान
कक्षाओं में ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाले कालेज संचालक बड़े शातिर चोर निकले। जिन छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठाकर समाज में घूम रहे थे, उन छात्रों के एडमिश नही फर्जी निकले। पुलिस ने जब जांच की तो उत्तराखंड के इन भ्रष्टाचारियों के काले कारनामों की पोल खुलती चली गई। फिलहाल इन भ्रष्टाचारियों के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। दो नामी निजी कॉलेजों के निदेशकों की गिरफ्तारी के बाद अब तीसरी गिरफ्तारी का इंतजार पूरी उत्सुकता से किया जा रहा है। जिसके बाद से भ्रष्टाचार में संलिप्त निजी कॉलेज संचालकों में पुलिस का खौफ व्याप्त हो गया है। गिरफ्तारी से बचने के लिए नेताओं की चौखट पर नाक रगड़ते घूम रहे है। लेकिन नेताओं से कोई संतोषजनक जबाव नही मिलने पर आरोपियों की सभी उम्मीदों पर पानी फिरता दिखाई पड़ रहा है।
उत्तराखंड के सबसे चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले ने फिलहाल माहौल पूरी तरह से गरमाया हुआ है। निजी कॉलेज संचालकों ने एससी-एसटी छात्रों के एडमिशन के नाम पर खूब फर्जीबाड़ा किया। फर्जी एडमिशन दिखाकर राज्य सरकार को करोड़ों की चपत लगा दी। करीब आठ सौ करोड़ के इस भ्रष्टाचार की फाइल खुली तो पुलिस भी भौचक्की रह गई। आर्दश और ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाले कॉलेज संचालक बड़े शातिर चोर निकले। एसआईटी की जांच में छात्रवृत्ति घोटाले की परते खुलनी शुरू हो गई। एसआईटी ने विश्वविद्यालय और समाज कल्याण विभाग से छात्रों के नामों की लिस्ट लेकर जांच को आगे बढ़ाया। जब कॉलेजों की लिस्ट से मिलान किया तो सैंकड़ों छात्रों के नाम पते फर्जी पाए गए। इससे साफ जाहिर होता है कि छात्रवृत्ति की धनराशि हड़पने के लिए निजी कॉलेज संचालकों ने धोखाधड़ी के खेल को अंजाम दिया है। आखिरकार बकरे की मां कब तक खैर मनाती। एसआईटी ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की धरपकड़ शुरू कर दी। आईपीएस कॉलेज के निदेशक अंकुर शर्मा और अमृत लॉ कॉलेज के निदेशक ओम त्यागी के बाद तीसरी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की दबिश जारी है।