पतंजलि अनुसंधान केन्द्र पहुंचे ‘नमामि गंगे’ के महानिदेशक जी. अशोक कुमार




नवीन चौहान.
हरिद्वार। पतंजलि अनुसंधान संस्थान पहुंचे ‘नमामि गंगे’ के महानिदेशक जी. अशोक कुमार व उनकी पूरी टीम का स्वागत आचार्य बालकृष्ण ने बड़ी गर्म जोशी से किया। सम्मानित सभी साथियों को पुष्प गुच्छ भी भेंट किये।

इस दौरान पतंजलि द्वारा गंगा को लेकर किये गये सभी कार्यों की पुस्तकों का एक संग्रह महानिदेशक को भेंट किया गया। वहीं नमामि गंगे के महानिदेशक ने स्वामी बाबा रामदेव व आचार्य जी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। नमामि गंगे के महानिदेशक ने पतंजलि अनुसंधान केन्द्र में चल रहे अनुसंधानों को समझने एवं जानने की कोशिश की एवं सभी विभागों का भ्रमण भी किया। इस अवसर पर महानिदेशक ने पतंजलि अनुसंधान प्रांगण में पौधारोपण किया।

श्रद्धेय आचार्य जी ने कहा जब तरक्की व उन्नति की बात होती है तब हम विदेशों के उदाहरण देते है मगर पतंजलि ने आज ऐसे कई उदाहरण सबके सामने रख दिये है जिसमें आज विदेशी लोग हमारे रिसर्च जनरल व हमारे डाटा का रेफरेन्स देते है। यह पतंजलि अनुसंधान के लिए बड़ी खुशी की व सम्मान की बात है हम सदैव ज्ञान में बड़े थे, विश्व गुरू भी थे यह पुनः सब संभव होगा जब हम सही दिशा में अनुसंधान व पुरूषार्थ करेंगे। आज पतंजलि इन सभी कार्यक्रम को स्वामी रामदेव जी के दिशा-निर्देशन में कुशलता से कर रहा है।

श्रद्धेय आचार्य जी ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वप्न व संकल्प को सबके बीच साझा करते हुए कहा कि गंगा के 5-5 किलोमीटर दोनों साईड में जितने भी खेत आयेंगे उन्हें जैविक खेती से युक्त किया जायेगा। जिससे माँ गंगा की स्वच्छता बनी रहेगी और किसान जैविक खेती का महत्व समझेगा।

‘नमामि गंगे’ के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी जी व आचार्य जी के नेतृत्व में पतंजलि में चल रहे सभी कार्य, अनुसंधान बहुत ही उच्च श्रेणी के हैं। हमारे देश का जो गौरव था वह हमारी संस्कृति, हमारा प्राचीन ज्ञान जिसे पतंजलि अनुसंधान केन्द्र अपने अनुसंधान के माध्यम से देश व समाज के सामने रख रहा है। हम विश्व गुरू थे, सभी देशों से सबसे आगे थे। लेकिन प्रबंधन व गुणवत्ता में पीछे होते चले गये। बस इन्हीं दोनों चीजों पर आचार्य बालकृष्ण जी ने संज्ञान ले लिया है साथ ही आज जो भी अनुसंधान हो रहे हैं उनके सभी जरूरी कागजात साथ-साथ तैयार किये जा रहे है। ये ही दस्तावेज आज विदेशी शोधार्थियों के लिए एक उदाहरण बन रहे है।

हमारे प्राचीन विद्वानों ने अपनी संस्कृति व ज्ञान को मौखिक रखा जो कई पीढ़ी तक ऐसा ही चला, जिस कारण वह ज्ञान कई रूपों में आज समाज के सामने है और अधिकतर ज्ञान उन्हीं पीढ़ियों के साथ समाप्त हो गया जो बहुमूल्य था। उसी बहुमूल्य ज्ञान की खोज में आचार्य जी कार्य कर रहे है। इस ज्ञान को वह विधिवत् रूप से कलमबद्ध भी कर रहे है। जो आगे की पीढ़ी के लिए अति आवश्यक होगा। यह हमारे सबके लिए गर्व का विषय है।

‘नमामि गंगे’ के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने सबसे आह्वान किया कि सभी गंगा की सफाई का विशेष ध्यान रखें। अधिक आबादी व सीवरेज को उन्होंने गंगा के प्रदूषण का विशेष कारण माना। गंगा के प्रदूषण के लिए उन्होने किसान भाईयों से भी प्रार्थना की, कि वह पुनः जैविक खेती की ओर वापस आये, क्योंकि वह जो अपने खेतों में जहरीली दवाई डालते है वह बारिश के मौसम में बहकर गंगा माँ में समाहित हो जाती है, जिसके कारण गंगा में रहने वाले सभी जीव-जन्तु, मछलियां इत्यादि उससे प्रभावित होकर मर जाती हैं। इसलिए गंगा माँ है उसकी रक्षा करना भी हमारी सबकी जिम्मेदारी है।

पतंजलि जैविक खेती की दिशा में बहुत बड़ा कार्य कर रही है। वह किसानों की मिट्टी को टेस्ट कर किसान भाईयों को बताती है कि उसके खेत में किस प्रकार की कमी आ रही है और उसे कौन-सी खेती करनी चाहिए। यह बहुत ही बड़ा कार्य आचार्य जी द्वारा किया जा रहा हैं, क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश है। भारत की पहचान ही कृषि है।

‘नमामि गंगे’ के महानिदेशक जी. अशोक कुमार ने ‘नमामि गंगे’ के स्लज से निर्मित पतंजलि जैविक, पतंजलि जैविक खाद, जैविक पोषक, जैविक पोटाश इत्यादि का शुभारम्भ किया। स्लज से निर्मित खाद बनाने की प्रक्रिया को पतंजलि द्वारा किसान भाईयों के लिए निर्मित किया गया है। पतंजलि की यह खाद जैविक खेती की दिशा में क्रान्ति का सूत्रपात का कार्य करेंगी, साथ ही प्रधानमंत्री के स्वच्छ गंगा के स्वप्न को साकार करेंगी।

इस कार्यक्रम में नमामि गंगे की सदस्य एस.ए. हुसैन, रूचि बड़ोला, बिन्दु, पीयूष कुमार सिंह, गौरव कुमार, डॉ. वेदप्रिया आर्य, सुदेश तिवारी इत्यादि मौजूद रहे।



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