हरिद्वार के शिक्षा विभाग को लगी फटकार, निजी स्कूलों में लागू नहीं सूचना का अधिकार




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काजल राजपूत
हरिद्वार के शिक्षा विभाग को सूचना आयुक्त की सुनवाई के दौरान कड़ी फटकार लगी। आयोग के उपायुक्त ने कहा कि ​स्व वित्त पोषित निजी स्कूलों पर सूचना का अधिकार अधिनियम लागू नही होता है। निजी स्कूलों से सिर्फ आरटीई अर्थात शिक्षा के अधिकार अधिनियम से होने वाले एडमिशन की जानकारी हासिल की जा सकती है। ऐसा निर्णय देहरादून सूचना आयुक्त ने हरिद्वार के एक निजी स्कूल धूम सिंह मैमोरियल के प्रकरण में सुनवाई के दौरान दिया।
हरिद्वार के एक व्यक्ति अब्दुल सत्तार ने ज्वालापुर के सीतापुर में संचालित धूम सिंह मैमोरियल पब्लिक स्कूल के संबंध में सूचना के अधिकार अधिनियम के संबंध में जानकारी चाही। अब्दुल सत्तार ने हरिद्वार के शिक्षा विभाग और खंड शिक्षा अधिकारी को पार्टी बनाकर और निजी स्कूल की आंतरित व्यवस्था के संबंध में तमाम जानकारी चाही। जिसके बाद शिकायतकर्ता के प्रार्थना पत्र पर शिक्षा विभाग ने करीब 16 बिंदुओं पर निजी स्कूल को नोटिस दिया और स्कूल का स्थलीय निरीक्षण तक किया।
शिकायतकर्ता अब्दुल सत्तार ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत ली गई तमाम सूचनाओं पर ​शिक्षा विभाग से संतुष्ट नही हुआ और पूरा प्रकरण लोक सूचना आयुक्त की अपील में पहुंच गया। लोक सूचना आयुक्त ने आज दिनांक 21 फरवरी 2024 को धूम सिंह मैमोरियल, हरिद्वार के शिक्षा विभाग और खंड शिक्षाधिकारी को आयोग में तलब किया। लोक सूचना आयुक्त विपिन चंद्रा ने अपील की सुनवाई के दौरान जब शिकायतकर्ता अब्दुल सत्तार के प्रकरण को सुना तो शिक्षा विभाग को कड़ी फटकार लगाई। शिक्षा विभाग ने तमाम ऐसे विंदुओं पर ​धूम सिंह मैमोरियरल पब्लिक से जानकारी मांगी जिसका प्रकरण से कोई सरोकार ही नही था। आयोग में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता अब्दुल सत्तार नदारद रहे। जबकि शिक्षा विभाग अधूरी जानकारी के पास पहुंचा।
जिसके बाद आयुक्त विपिन चंद्रा ने कहा कि स्ववित्त पोषित निजी स्कूल सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में नही आते है। निजी स्कूलों से आईटीई के संबंध की जानकारी ली जा सकती है। इसके अलावा स्कूल के सोसायटी पंजीकरण की जानकारी ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा देने का कार्य करते है। उनको बेवजह परेशान नही किया जाना चाहिए।
बताते चले कि इस प्रकरण में शिकायतकर्ता ने निजी स्कूल से स्कूल में पढ़ने वाले तमाम बच्चों की संख्या, फेल और पास होने वाले बच्चों का रिजल्ट,स्कूल के शिक्षकों की संख्या और उनके वेतन संबंधी तमाम कई प्रकार की जानकारी सूचना के अधिकार में चाही थी।



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