नवीन चौहान.
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी है. अनाथ पशुओं की सेवा करना हो या बेसहारा इंसानों को मदद पहुंचाने में वह हमेशा अग्रणी भूमिका में रहते हैं. ऐसा ही उन्होंने अपने जन्मदिन के अवसर पर किया. हवन यज्ञ और रक्तदान शिविर के बाद मध्य रात्रि में गरीबों को कंबल ओढ़ने पहुंच गए.
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने 4 साल के मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल में कुर्सी का सम्मान किया. ईमानदारी और पारदर्शिता से गरीबों के लिए जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का सकारात्मक कार्य किया. स्वयं सहायता समूह के माध्यम से प्रदेश की लाखों महिलाओं को रोजगार प्रदान करने का कार्य किया. घसियारी योजना के माध्यम से उत्तराखंड की गरीब महिलाओं को पशु आहार देने की सुविधा प्रदान की.
उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में विकास की किरण पहुंचाने का कार्य किया. जीरो टॉलरेंस की मुहिम को शुरू करके प्रदेश में एक पारदर्शी सरकार देने का प्रयास किया. उनका 4 साल का कार्यकाल भ्रष्टाचार मुक्त रहा. सचिवालय में दलालों की एंट्री बंद रही. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ईमानदारी और संवेदनशीलता को सर्वोपरि रखा. उनकी यही ईमानदारी भाजपा के विधायकों को रास नहीं आई. जिसके चलते उनको मुख्यमंत्री पद की कुर्सी से विदाई लेनी पड़ी.
मुख्यमंत्री पद की कुर्सी से हटने के बावजूद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनहित के कार्यों की मुहिम को जारी रखा. प्रदेश के विभिन्न जनपदों में रक्तदान शिविर लगाकर रक्त की पूर्ति करने का कार्य किया. पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए हजारों पौधारोपण करने का कार्य किया. जनता की सेवा करने का उनका कार्य अनवरत जारी है.
इसी क्रम में उन्होंने अपने जन्मदिन को भी जनता को समर्पित कर दिया. सैकड़ों गरीबों को कंबल दिए गए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया. यही कारण है कि मुख्यमंत्री पद पर नही होने के बावजूद भी प्रदेश की जनता का अपार स्नेह है उनको लगातार मिल रहा है. उनकी ईमानदारी को लोग आज भी याद कर रहे है. प्रदेश में उनकी लोकप्रियता का लगातार इजाफा हो रहा है.