पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने बदमाशों को पकड़ने के लिए दिए तीन करोड़





नवीन चौहान
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की पहल पर उत्तराखंड पुलिस को करोड़ों का बजट मिल रहा है। उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य है। जहां बदमाशों को पीछा करने के लिए पुलिस को सरकार की ओर से बजट मिलता है। जी हां पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की एक अनूठी पहल के बाद बदमाशों को पकड़ने के लिए प्रतिवर्ष तीन करोड़ की धनराशि देने की व्यवस्था उत्तराखंड पुलिस के लिए की है। उत्तराखंड पुलिस में ईमानदारी की अलख जगाने, निष्पक्ष विवेचना और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने दिशा में उठाया गया एक शानदार कदम है। पूर्व सीएम की सकारात्मक सोच के बाद मित्र पुलिस को थाना निधि के नाम से दी जाने वाली तीन करोड़ की रक​म जनपदों के प्रत्येक थाने को उसके ग्रेड के अनुसार प्रतिमाह वितरित की जाती है। इस रकम का उपयोग बदमाशों को पकड़ने और गुमशुदा को तलाश करने के लिए वाहन और तमाम अन्य खर्चो में किया जाता है। इस रकम के मिनने के बाद से हरिद्वार, देहरादूून और उधमसिंह नगर के जनपदों की पुलिस को काफी राहत मिली है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का चार साल का कार्यकाल उनकी ईमानदारी के लिए याद किया जाता रहेगा। जनता के प्रति वफादारी निभाने में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अपने ही विधायकों से नाराजगी मोल ली। लेकिन कुर्सी पर काबिज रहने के आखिरी वक्त तक उन्होंने जीरो टॉलरेंस की मुहिम को सार्थक करने का पूरा प्रयास किया। हालांकि उनकी तमाम योजनाओं की जानकारी जनता तक नही पहुंच पाई हो। लेकिन उनके द्वारा जारी की गई तमाम योजनाओं के पीछे सिर्फ एक ही मकसद रहा। ईमानदारी, पारदर्शिता और शुचिता से कार्य करते हुए उत्तराखंड के विकास की पटकथा तैयार करने का। ऐसा ही कुछ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने थाना निथि के बजट की घोषणा करने से पूर्व किया।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक उत्तराखंड कैडर के ईमानदार आईपीएस अफसर कृष्ण कुमार वीके को अपने पास बुलाया। पूर्व मुख्यमंत्री ने तत्कालीन एसएसपी से मित्र पुलिस की कार्यशैली और उनकी बेसिक समस्याओं के बारे में जानकारी की। पूर्व सीएम ने पूछा कि थाने कैसे चलते है। बदमाशों को पकड़ने के लिए पुलिस किस प्रकार कार्य करती है। पुलिस अफसर ने जानकारी दी कि जनता के सहयोग से ही पुलिस वाहनों की व्यवस्था करती है। जनता से वाहन लेकर पुलिस दबिश देने जाती है। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अगर पुलिस के लिए बजट की व्यवस्था की जाए तो पुलिस ईमानदारी से कार्य कर पायेगी। किसी अमीर का सहयोग नही लोंगे तभी तो गरीब को न्याय दिलाने में निष्पक्षता और पारदर्शिता करने में आसानी होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बातचीत के बाद तत्कालीन पुलिस महानिदेशक अनिल के रतूड़ी को थाना निधि के लिए एक प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। तत्कालीन डीजीपी अनिल के रतूड़ी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की इस अनूठी पहल को अमलीजामा पहनाया। पहाड़ और तराई के सभी थानों को ग्रेड के अनुरूप बजट खर्च करने की पूरी कार्ययोजना बनाई। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तत्कालीन डीजीपी के प्रस्ताव को केबिनेट की बैठक में मंजूरी दिलाने के बाद तीन करोड़ का बजट प्रतिवर्ष थाने को देने की व्यवस्था बनाई। इस बजट के मिलने के बाद से मित्र पुलिस में ईमानदारी और शुचिता से कार्य करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
हालांकि इस बजट को खर्च करने में मित्र पुलिस की ईमानदारी की अहम भूमिका है। पुलिस मुख्यालय से मिलने वाले इस बजट का सदुपयोग कोतवाल और थाना प्रभारियों के विवेक पर निर्भर करता है। वह इस बजट का ठीक तरीके से उपयोग करें। ताकि जनता का धन जनता के काम आ सके।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने कार्यकाल में गरीबों के प्रति बेहद संजीदा दिखाई पड़े। उन्होंने थाना निधि की शुरूआत करके अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया। हालांकि यह कोई नई बात नही है। घायल पशुओं की सेवा करना हो, घस्सियारी योजना हो। पति की संपत्ति में पत्नी को अधिकार दिलाने की बात हो। तमाम योजनाओं के पीछे का मकसद गरीब और कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए ही रहा।
पुलिस थाना निधि को समझने की जरूरत
जब किसी गरीब का बच्चा खो जाता है। तो वह पुलिस के पास गुमशुदगी दर्ज कराता है। पुलिस गुमशुदगी दर्ज करने के बाद भी बच्चे की तलाश में इधर—उधर जाने में आनाकानी करती है। पुलिस गरीब को टलकाती रहती है। ऐसे में अगर पुलिस के पास थाना निधि की रकम है तो वह बच्ची की तलाश में जा सकती है। पुलिस के पास टाल मटोल करने का कोई कारण नही रहेगा। जबकि यही स्थिति अमीर के साथ होती है तो वह अपने बच्चे की तलाश में पुलिस को वाहन दे देता है।

उत्तराखंड कैडर के आईपीएस अफसर कृष्ण कुमार वीके की गिनती ईमानदार अफसरों में की जाती है। वह कर्तव्यनिष्ठा की मिशाल पेश करते रहे है। पुलिस की छवि को सुधारने और खाकी का मान बढ़ाने के लिए उन्होंने बहुत कार्य किए। मित्र पुलिस में ईमानदारी से कार्य करने की राह दिखलाई।



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